“लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ 2025 में 10 दिन के लिए निरंजनी अखाड़े में कल्पवास शुरू किया। स्टीव जॉब्स की तरह भारतीय आध्यात्मिकता और नीब करौरी बाबा से प्रेरित लॉरेन का यह कदम भारतीय संस्कृति के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है।”
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की झलक हर ओर बिखरी हुई है। इसी बीच प्रसिद्ध अमेरिकी कारोबारी और एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स का निरंजनी अखाड़े में कल्पवास करना चर्चा का विषय बन गया है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जिनकी आध्यात्मिकता के प्रति गहरी रुचि रही है, ने प्रयागराज महाकुंभ में 10 दिनों का कल्पवास शुरू किया है। यह यात्रा उनकी भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति आस्था को उजागर करती है।
स्टीव जॉब्स और नीब करौरी बाबा से जुड़ा किस्सा
स्टीव जॉब्स ने अपने जीवन में भारतीय आध्यात्मिकता का महत्व समझा था। बाबा नीब करौरी से जुड़ी उनकी एक यात्रा ने एप्पल के लोगो को कटा हुआ सेब बनाने की प्रेरणा दी थी। बाबा द्वारा आशीर्वाद स्वरूप दिया गया कटा हुआ सेब उनके जीवन में प्रेरणादायक घटना बनी।
लॉरेन पॉवेल का आध्यात्मिक जुड़ाव
अपने पति की तरह, लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी भारतीय आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित हैं। उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ग्रहण की और उनके मार्गदर्शन में निरंजनी अखाड़े के शिविर में रहने का निर्णय लिया।
शिविर और कल्पवास की विशेषताएं
अवधि: 10 दिन
स्थान: निरंजनी अखाड़ा
सुरक्षा प्रबंध: विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
गतिविधियां: धार्मिक अनुष्ठान, ध्यान और भारतीय संस्कृति की गहन समझ।
भारतीय संस्कृति के प्रति वैश्विक संदेश
लॉरेन पॉवेल का महाकुंभ में आना यह दर्शाता है कि आधुनिकता और आध्यात्मिकता का मेल कैसे एक नए वैश्विक परिप्रेक्ष्य को जन्म दे सकता है। यह कदम भारतीय संस्कृति की वैश्विक प्रासंगिकता को और मजबूत करता है।
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विशेष संवाददाता: मनोज शुक्ल