मेरठ (उत्तर प्रदेश):
वक्फ कानून के खिलाफ बिजली काटने पर कर्मचारी बर्खास्त कर दिया गया — यह घटना मेरठ जिले में तब सामने आई जब एक सरकारी कर्मचारी ने निजी विरोध को सार्वजनिक व्यवस्था में बदल दिया।
1 मई की रात, कई मुस्लिम संगठनों ने वक्फ कानून में प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ सांकेतिक विरोध करते हुए रात 9 बजे 15 मिनट के लिए लाइट बंद करने का आह्वान किया था। इस विरोध में आम नागरिकों को शामिल होना था, लेकिन मेरठ के एक बिजलीघर कर्मचारी रियाजुद्दीन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पूरे क्षेत्र की बिजली ही काट दी।
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सूत्रों के अनुसार, रियाजुद्दीन ने बिना किसी आधिकारिक निर्देश के, पूरे इलाके की विद्युत आपूर्ति बंद कर दी। यह मामला तुरंत चर्चा में आया और स्थानीय प्रशासन से होते हुए ऊर्जा मंत्री तक पहुंचा। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से रियाजुद्दीन को बर्खास्त कर दिया गया है।
ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसी भी राजनीतिक या धार्मिक विरोध का समर्थन करने के लिए विभागीय संसाधनों का उपयोग अनुशासनहीनता और नियमों का उल्लंघन है।
सरकार का कहना है कि सार्वजनिक सेवा में कार्यरत कर्मचारियों से अपेक्षा होती है कि वे तटस्थ और निष्पक्ष रहें। निजी विचारों को सरकारी मशीनरी के माध्यम से थोपना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि समाज में अराजकता फैलाने का माध्यम भी बन सकता है।
यह घटना उन चुनौतियों को उजागर करती है, जहाँ सरकारी कर्मचारी निजी विचारों को कार्य में घोल देते हैं। प्रशासन ने यह कदम साफ संदेश देने के लिए उठाया है कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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