वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी के यूट्यूब चैनल ‘4PM’ पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध ने मीडिया स्वतंत्रता पर नई बहस छेड़ दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है, जिससे यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है।
‘4PM’ चैनल, जो कि पुण्य प्रसून बाजपेयी द्वारा संचालित है, पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है। इस प्रतिबंध के पीछे के कारणों को लेकर विभिन्न अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है। इससे पहले भी बाजपेयी को उनके पत्रकारिता कार्यों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें ABP न्यूज़ से उनका इस्तीफा शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या यह प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की गई है, जिसमें सरकार को अपना पक्ष रखना होगा।
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इस घटना ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया प्लेटफॉर्म्स की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। कई पत्रकार और मीडिया संगठन इस प्रतिबंध की निंदा कर रहे हैं और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा मान रहे हैं।
पुण्य प्रसून बाजपेयी ने इस प्रतिबंध को लेकर कहा है कि यह सरकार की आलोचना करने वाले स्वरों को दबाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि वे इस लड़ाई को कानूनी रूप से लड़ेंगे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे।