भारत पाकिस्तान सख्त फैसले एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दिल्ली से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के प्रति अपने कड़े रुख को बरकरार रखते हुए कई पुराने फैसलों को यथावत रखने का निर्णय लिया है। इन फैसलों में सिंधु जल संधि की बहाली न करना, समझौता एक्सप्रेस को निलंबित रखना और अटारी-बाघा सीमा को बंद रखना शामिल है।
इसके अलावा, भारत सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों को वीजा जारी करने पर लगी रोक को भी जारी रखने का फैसला किया है। साथ ही, दोनों देशों के राजनयिकों की संख्या सीमित रखने की नीति पर भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन सभी फैसलों का उद्देश्य पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना है कि जब तक वह आतंकवाद, सीमा पार घुसपैठ और द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन पर ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक भारत का रुख कठोर बना रहेगा।

भारत पाकिस्तान सख्त फैसले ऐसे समय में सामने आए हैं जब क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें दोनों देशों पर टिकी हुई हैं। भारत का यह स्पष्ट संकेत है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “यह जरूरी है कि पाकिस्तान अपने आचरण में बदलाव लाए। भारत संवाद के पक्ष में है, लेकिन वह बिना भरोसे और सुरक्षा के किसी भी प्रकार की बहाली नहीं करेगा।”
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विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम घरेलू सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक कूटनीति में उसकी मजबूत स्थिति को भी दर्शाता है। भारत-पाकिस्तान संबंधों में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अब पुरानी शैली की कूटनीति नहीं चलेगी।
हालांकि, कुछ राजनीतिक दलों ने इन फैसलों को लेकर चर्चा की मांग की है। लेकिन केंद्र सरकार की नीति फिलहाल स्पष्ट है—राष्ट्रहित सर्वोपरि है और पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की सामान्य प्रक्रिया तभी बहाल की जाएगी, जब वह ठोस कार्रवाई करेगा।
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