रामबन में NH44 धंसी – जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले से एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां राष्ट्रीय राजमार्ग-44 (NH44) का एक बड़ा हिस्सा अचानक धंस गया। यह वही मार्ग है जो जम्मू और श्रीनगर के बीच मुख्य संपर्क साधन है। रविवार रात करीब 9:15 बजे मरोड़ क्षेत्र के पास यह घटना हुई, जिसके चलते घाटी का संपर्क एक बार फिर टूट गया।
इस हादसे के बाद जम्मू और श्रीनगर के बीच यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया है। प्रशासन ने एहतियातन दोनों ओर से सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। सबसे अधिक प्रभावित वे यात्री हैं जो आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में लगे ट्रक लेकर यात्रा कर रहे थे।
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भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह क्षेत्र काफी संवेदनशील माना जाता है। यहां की चट्टानें कमजोर होती हैं और लगातार बारिश के कारण मिट्टी का कटाव सामान्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि हाल की बारिश ने मिट्टी की मजबूती को और भी कम कर दिया है, जिससे यह घटना हुई। साथ ही, निर्माण तकनीकों की गुणवत्ता और भूसर्वेक्षण की गहराई पर भी सवाल उठ रहे हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने तत्काल प्रभाव से मरम्मत कार्य शुरू कर दिया है। मौके पर जेसीबी और अन्य भारी मशीनें पहुंचाई गई हैं, और कर्मचारियों को युद्ध स्तर पर कार्य में लगाया गया है। हालांकि, लगातार बारिश और पहाड़ी इलाकों की जटिलता के कारण मरम्मत कार्य में देरी हो सकती है।

यात्री विभाग हल्के वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्गों को खोलने पर विचार कर रहा है, लेकिन ये मार्ग न केवल संकरे हैं, बल्कि वहां भी भूस्खलन और पत्थर गिरने का खतरा बना रहता है। ऐसे में यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी यात्रा टालें और ताजा जानकारी के लिए यातायात नियंत्रण कक्ष से संपर्क बनाए रखें।
बार-बार इस प्रकार की घटनाओं से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण वैज्ञानिक सोच के साथ हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब वक्त आ गया है जब सरकार को स्थायी समाधान की दिशा में काम करना चाहिए। इसमें उन्नत भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, पर्यावरण के अनुकूल निर्माण तकनीकें और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए राजमार्ग की योजना शामिल होनी चाहिए।