भारत की तुर्की को चेतावनी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई कूटनीतिक हलचल मचा दी है। भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि तुर्की को भारत से मधुर संबंध रखने हैं, तो उसे पाकिस्तान के साथ अपने रणनीतिक और राजनीतिक रिश्तों की समीक्षा करनी होगी और आतंकवाद को समर्थन देने वाली किसी भी नीति से खुद को दूर करना होगा।
भारत के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में स्पष्ट किया कि भारत-तुर्की रिश्तों में प्रगाढ़ता तभी संभव है, जब तुर्की भारत की संवेदनशीलताओं को समझे और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ स्टैंड ले। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने तुर्की से यह भी कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर जैसे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से बचे।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की। भारत ने इस पर कड़ा विरोध जताया है और इसे द्विपक्षीय संप्रभुता में सीधा हस्तक्षेप माना है।
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तुर्की, पाकिस्तान का लगातार समर्थन करता रहा है, खासकर कश्मीर मुद्दे पर। दोनों देशों के बीच सैन्य और खुफिया सहयोग भी देखा गया है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से चिंताजनक है। भारत ने तुर्की से आग्रह किया है कि वह अपने पक्षपातपूर्ण रुख को छोड़े और एक संतुलित एवं वैश्विक दृष्टिकोण अपनाए।
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की ओर से दिया गया कड़ा संदेश है, जो वैश्विक कूटनीति में स्पष्टता और आत्मविश्वास को दर्शाता है। भारत अब अपनी विदेश नीति में ‘सामरिक मौन’ के बजाय ‘रणनीतिक स्पष्टवादिता’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इससे पहले भी भारत फ्रांस, अमेरिका और इजराइल जैसे सहयोगियों के साथ ऐसे देशों पर दबाव बना चुका है जो पाकिस्तान से करीबी रखते हैं।
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