कुशीनगर जिले में अवैध बालू खनन कुशीनगर का कारोबार बेलगाम होता जा रहा है। गंडक नदियों के किनारे और भीतरी इलाकों में बालू के अवैध खनन और बिक्री की शिकायतें लगातार जिला प्रशासन को मिल रही हैं। इसे लेकर जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी उप जिलाधिकारियों और पुलिस क्षेत्राधिकारियों को सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि इस मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जिलाधिकारी ने अवैध खनन रोकने के लिए एक टास्क फोर्स गठित की है, जिसमें पुलिस अधीक्षक, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व), प्रभागीय वन अधिकारी, परिवहन अधिकारी, खनन अधिकारी समेत सभी उप जिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी शामिल हैं। यह कार्यबल जिले में अवैध खनन, परिवहन और ओवरलोडिंग पर नजर रखेगा और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
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सूत्रों के अनुसार, बड़ी और छोटी गंडक नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों जैसे कुर्मीपट्टी, सिधावट, सोहसा, लालीपार, रेगवनिया, दुबौली, त्रिलोकपुर, विरवट कोन्हवलिया, भैसहा एहतमाली, कटाई भरपुरवा समेत दर्जनों स्थानों पर बिना पट्टे के बालू का खनन खुलेआम किया जा रहा है। यह खनन ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से एक स्थान से दूसरे स्थान तक बेरोकटोक पहुँचाया जा रहा है।
बालू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि हाल ही में सिंचाई विभाग के एक सहायक अभियंता को कटाई भरपुरवा तटबंध से बालू लदी ट्रॉलियों को ले जाने से रोकने पर अपमानित किया गया। अभियंता द्वारा थाने में लिखित शिकायत देने के बावजूद स्थानीय पुलिस ने मामले की लीपापोती कर दी।
जिलाधिकारी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि जिले में इस समय कोई भी वैध खनन पट्टा या अनुज्ञा पत्र संचालित नहीं है। बावजूद इसके खनन और परिवहन धड़ल्ले से जारी है। उन्होंने शासनादेश का हवाला देते हुए यह भी कहा है कि थाने को मिलने वाली अवैध खनन की सूचना तत्काल एसडीएम और सीओ को दी जाए और संबंधित अधिकारी शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित करें।
उन्होंने सभी उप जिलाधिकारियों, पुलिस उपाधीक्षकों व खनन अधिकारियों को आदेशित किया है कि वे अपने अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को सख्त निर्देश दें कि किसी भी सूरत में अवैध खनन और परिवहन न होने पाए। यदि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इसमें लापरवाही करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जाए।
यह निर्देश स्पष्ट करता है कि अब कुशीनगर में बालू के इस काले कारोबार पर शिकंजा कसने की तैयारी हो चुकी है। प्रशासनिक सख्ती के बाद अब देखना होगा कि कार्रवाई ज़मीनी स्तर पर कितनी असरदार साबित होती है।
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