नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को प्रतिष्ठित गुजराती साहित्यकार रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया।संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा कि नश्वर चीजें नहीं रहती लेकिन उनके द्वारा की गई रचनाएं जब तक संसार हैं ज़रूर रहती हैं और इसी में माहिर सृजनकर्ता की जीत छुपी है। उन्होंने कहा कि डॉ चौधरी ऐसे ही रचनाकारों में से एक हैं।श्री मुखर्जी ने कहा कि डॉण् चौधरी भारत की बहुलवादी साहित्यिक विशेषता के अनुरूप प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी हैं। उनका लेखन कार्य उनके प्रतिभाशाली प्रवाह को दर्शाता है कि एक व्यक्ति जिसकी शिक्षा हिन्दी में हुई है वह अपना लेखन कार्य गुजराती में करता है।राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह ज्ञानपीठ पुरस्कारों से सम्मानित प्रतिभाओं को देखते हैं तो भारत की भाषाई विविधता वाले साहित्याकारों में भारत की साहित्यिक एकता के दर्शन होते हैं।उल्लेखनीय है कि साहित्य के क्षेत्र में देश के इस सर्वोच्च पुरस्कार के लिए उनके नाम का चयन जाने.माने लेखक एवं आलोचक डॉण् नामवर सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने किया था।चौधरी का लेखन जीवन की गहराइयों और रिश्तों पर आधारित रहा है। उन्हें 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वह अस्सी से अधिक किताबों के लेखक हैं।गुजरात साहित्य परिषदए गुजरात विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग सहित कई संस्थाओं से संबद्ध साहित्यकार रघुवीर चौधरी पिछले पांच दशक से लेखन कार्य से जुड़े हुए हैं। उन्होंने सौराष्ट्र के जीवन पर एक जीवंत काव्य लिखा है।