पोर्ट ब्लेयर। केंद्र शासित राज्य अंडमान-निकोबार पुलिस ने अर्धनग्न जारवा जनजाति महिलाओं के विवादास्पद वीडियो मामले में राष्ट्रीय तकनीक अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) से मदद मांगी है। एनटीआरओ साइबर खुफिया मामलों को देखने वाली संस्था है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट आदेश दे रखा है कि जारवा जनजाति के लोगों का विवादास्पद वीडियो बनाने वालों को पकड़ा जाए।
पुलिस ने एनटीआरओ से यह पता लगाने का आग्रह किया है कि किस स्थान से इस विवादास्पद वीडियो को अपलोड किया गया था। यह पता चलने के बाद पुलिस कार्रवाई सही दिशा में आगे बढ़ा सकेगी। आदिम जनजाति संरक्षण कानून के तहत आदिवासियों की तस्वीरें लेना अथवा वीडियो बनाना प्रतिबंधित है। इस वीडियो में एक टैवेल एजेंट और ब्रिटिश पत्रकार के बीच बातचीत भी है। पुलिस इस टैवेल एजेंट का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
बताया जाता है कि खाना देने के बदले आदिवासियों को पर्यटकों के सामने नाचने पर मजबूर किया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह पता करे कि वीडियो कब बनाया गया। बिलकुल अलग रहने वाले आदिवासी बाहरी लोगों के संपर्क में कैसे आए। इन आदिवासियों के शोषण के लिए कौन लोग दोषी हैं।
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