नई दिल्ली। महाराष्ट्र के कोंकण में मंगलवार की रात बहुत भारी पड़ी। पूरी रात हुई बारिस से उफनाई सावित्री नदी के विकराल रुप ने ब्रिटिश काल में तकरीबन 100 साल पहले बने पुल को बहा दिया। इस दौरान इस पुल से गुजर रही दो बसों समेत 15 गाड़ियां नदी में समा गईं। इस हादसे में 40 लोगों के लापता होने का अनुमान लगाया जा रहा है। रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक सुवेज हक के अनुसार राहत और बचाव कार्य जारी है। इस हादसे में कितने रायगढ़ की कलेक्टर शीतल उगले ने बताया कि राज्य परिवहन की दो बसें लापता हैं और उनके चालकों या यात्रियों में से किसी से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। दोनों बसों में 11-11 यात्री सवार थे।
शुरु किया तलाशी अभियान-
उगले ने कहा कि पुल का निर्माण ब्रिटिशकाल में किया गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग प्रशासन से चर्चा करने के बाद हमने यातायात को नजदीकी समानांतर पुल पर स्थानांतरित कर दिया है। हम अन्य वाहनों के लापता होने की खबरों की पुष्टि करने का प्रयास कर रहे हैं। पुनर्वास मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि लापता वाहनों की खोजबीन के लिए हेलीकॉप्टर्स और रक्षा बलों की मदद ली जा रही है। इसी बीच राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की 45 सदस्यीय टीम बचाव अभियान में सहायता करने के लिए पुणे से रायगढ़ पहुंच गई है। तटीय कोंकण और उत्तरी तथा पश्चिमी महाराष्ट्र में पिछले पांच दिनों से लगातार बारिश जारी है।
महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें महद डिपो पर अपने तय समय के अनुसार नहीं पहुंचीं, जिसके बाद उगले ने लोगों से अपने लापता रिश्तेदारों की खोज खबर के लिए संबंधित प्रशासनों से संपर्क में रहने की अपील की। स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब पांच से छह निजी वाहन भी लापता हैं। उन्होंने आशंका जताई कि वे वाहन बाढ़ के पानी में बह गए होंगे। उगले ने कहा कि लापता वाहनों की खोजबीन के लिए तलाशी अभियान शुरू किया गया है।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस रख रहे हैं नजर-
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पूरे हालात पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘अभी जान-माल के नुकसान का सही अंदाजा नहीं हो पाया है। सूचना मिलते ही प्रशासन बचाव उपायों में लग गया है।’
रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक (SP) सुवेज हक ने कहा, ‘राहत और बचाव कार्य जारी है। अभी किसी के हताहत होने के बारे में टिप्पणी नहीं की जा सकती।’ उन्होंने कहा कि पुणे से NDRF की टीम रवाना हो चुकी है। NDRF के DG ने कहा कि राहत कार्यों के लिए 50 लोगों की एक टीम भेजी गई हैं।
नासिक में कैसे बने बाढ़ जैसे हालात?
नासिक में सिर्फ नौ घंटे के अंदर 141 मिमी बारिश हुई। खतरे के निशान से ऊपर पानी होने की वजह से नांदूर मध्यमेश्वर बांध से दोपहर 2 बजे तक 1 लाख 3 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। यह पानी नासिक शहर की कई बस्तियों और निफाड़ तहसील में त्रासदी लेकर आया। नासिक के पास कलवण तहसील में भवती से तिलगव्हाण के बीच घोड़ीपाड़ा, महाल, उमरंडा गांवों का रास्ता बह जाने से संपर्क टूट चुका है। हालात देखते हुए बचाव टीम और सेना ने कमान संभाल ली है। दो हेलिकॉप्टर भी रेस्क्यू के लिए लगाए गए हैं। महाराष्ट्र में बाढ़ का असर कई ट्रेनों पर पड़ा है। नासिक, जलगांव से गुजरने वाली ट्रेने एक से डेढ़ घंटा लेट चली।