नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट को विधानसभा में नहीं रखे जाने पर बुधवार को विपक्ष ने कड़ा विरोध जताते हुए सदन से वाकआउट किया। विपक्ष के इस रूख पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस कैग रिपोर्ट की बात विपक्ष कर रहा है, वह आई ही नहीं है। जब आएगी तब वह जरूर सदन में रखेंगे।
विधानसभा के चार दिवसीय मॉनसून सत्र के तीसरे दिन आज निर्धारित समय पर सदन की कार्यवाही शुरू हुई। प्रश्नकाल के बाद नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सरकार से वर्ष 2015-16 की कैग रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने की मांग की। गुप्ता का सत्येंद्र जैन और ओखला से विधायक अमानातुल्ला खान सहित कई अन्य विधायकों ने विरोध किया। वहीं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस कैग रिपोर्ट की बात नेता विपक्ष कर रहे हैं, वह आई ही नहीं है। जब आएगी तब वह जरूर सदन में रखेंगे। इसके बाद विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता तथा जगदीश प्रधान ने सदन से वाकआउट किया। उन्होंने कहा कि सी.ए.जी. द्वारा दिल्ली सरकार की 31 मार्च 2016 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट को दिल्ली विधान सभा का वर्तमान सत्र प्रारंभ होने से पूर्व प्रस्तुत किया जा चुका है। सरकार को रिपोर्ट के विषय में सदन को विश्वास में लेना चाहिए था । परंतु, हैरानी की बात है कि दिल्ली सरकार ने इसकी भनक तक नहीं लगने दी । विपक्ष की मांग है कि इस रिपोर्ट को तुरंत सदन में रखा जाये । संवैधानिक रूप से ऐसा करना अनिवार्य है । यदि दिल्ली सरकार ऐसा नहीं करती है तो यह असंवैधानिक है और विपक्ष उसके विरूद्ध संवैधानिक स्तर पर कार्यवाही की मांग करेगा ।
गुप्ता ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट को छुपा रही है क्योंकि इसमें चैंका देने वाली तथ्य सामने आये हैं । सी.ए.जी. की टेस्ट चैक रिकार्ड में विज्ञापन तथा प्रचार अभियानों पर 24.29 करोड़ रूपये व्यय किये गये, जो कि पब्लिक फंड को व्यय करने के निर्धारित मूलभूत सिद्धांतों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत गाइड लाइन्स को फोलो नहीं किया गया । एक विशेष अभियान पर 33.40 करोड़ रूपये व्यय किये गये, जिसमें से 85 प्रतिशत भाग दिल्ली से बाहर व्यय किया गया । सी.ए.जी. की आपत्ति है कि विज्ञापनों आदि पर दिल्ली से बाहर व्यय करना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी से बाहर है ।