लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लंबे अरसे से नौकरी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे 32,500 बीपीएड डिग्री धारकों के लिए अच्छी खबर है। मुख्यमंत्री ने उन्हें चुनावी साल में बड़ा तोहफा दिया है। इन्हें सरकारी स्कूलों में मानदेय पर रखा जाएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने वित्तविहीन शिक्षकों को भी प्रोत्साहन मानदेय देने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार के इन फैसलों को मंजूरी मिली।
गौरतलब है कि प्रदेश के बीपीएड डिग्री धारक काफी समय से नौकरी के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इन दौरान कई प्रदर्शनकारी गोमती नदी में भी छलांग लगा चुके हैं। मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार राज्य सरकार इन डिग्री धारकों को प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अंशकालिक शारीरिक प्रशिक्षक एवं खेलकूद अनुदेशक के रुप में संविदा पर नियुक्त करेगी। इन्हें सात हजार रुपए प्रति माह के नियत मानदेय पर रखा जाएगा। अंशकालिक शारीरिक प्रशिक्षक एवं खेलकूद अनुदेशक के चयन एवं नियुक्ति हेतु समयबद्ध आॅनलाइन प्रक्रिया निर्धारित करनी होगी। इनके चयन व नियुक्ति के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी, जिसमें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव होंगे, जबकि प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के अलावा जनपद मुख्यालय पर स्थित राजकीय इण्टर काॅलेज के वरिष्ठतम प्रधानाचार्य एवं जिला क्रीड़ा अधिकारी सदस्य नामित किए गए हैं।
मंत्रिमंडल ने अशासकीय, असहायिक, असहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों को विशेष प्रोत्साहन मानदेय प्रदान करने सम्बन्धी प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया है। इसके लिए 200 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गयी है। इस धनराशि के अन्तर्गत वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत अंशकालिक शिक्षकों को विशेष प्रोत्साहन मानदेय दिया जाएगा।
राज्य युवा नीति को मंजूरी –
मंत्रिमंडल ने ‘राज्य युवा नीति-2016’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य के युवाओं का कौशल विकास कर रोजगार हेतु उन्हें दक्ष बनाने, गांवों से शहरों की ओर पलायन रोकने, पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबन्धन में युवाओं की सहभागिता बढ़ाने, उन्हें राष्ट्रीय मूल्यों का वाहक बनाने, उनमें एकता और सामाजिक सौहार्द की भावना बलवती करने तथा सामाजिक कुप्रथाओं के निर्मूलन हेतु जागरुकता उत्पन्न करने के लिए उ0प्र0 राज्य युवा नीति-2016 प्रख्यापित की गयी है।
भारत सरकार के राष्ट्रीय युवा नीति-2014 में परिभाषित युवा आयु वर्ग 15 से 29 के स्थान पर कौशल विकास मिशन हेतु निर्धारित युवा वर्ग की आयु सीमा 14 से 35 वर्ष को राज्य युवा नीति मंे अंगीकृत किया गया है। युवा नीति में पांच उद्देश्यों को रखा गया है।
1-एक सफल कार्यबल का गठन करना जो राज्य की अर्थव्यवस्था को विकसित करने की दिशा में स्थायी योगदान दे सके।
2- एक सशक्त और स्वस्थ पीढ़ी तैयार करना जो भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो।
3- सामाजिक मूल्यों की भावना मन में बैठाना और राज्य की जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए सामुदायिक सेवा को प्रोत्साहित करना।
4- शासन के सभी स्तरों पर नागरिकों का सहयोग लेना और उनकी भागीदारी को आसान बनाना।
5- जोखिमग्रस्त युवाओं के लिए सहायता और लाभ से वंचित एवं सीमान्त युवाओं के लिए समतामूलक अवसर सृजित करना, के लिए 11 प्राथमिकताएं निर्धारित की गयी हैं।
राज्य युवा नीति-2016 की 11 प्राथमिकताएं शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास, उद्यमशीलता एवं सामाजिक सम्प्रेक्षण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थ जीवन शैली, खेल, सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देना, सामुदायिक विनियोजन, लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में सहयोग, युवाओं की भागीदारी, युवाओं का समावेशन तथा सामाजिक न्याय है। इन प्राथमिकताओं के सापेक्ष भावी आवश्यकताओं का चिन्हांकन भी किया गया है, जिसके अनुरूप राज्य युवा नीति-2016 का क्रियान्वयन किया जाएगा।
युवा नीति को कार्यान्वित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति गठित की जाएगी, जिसमें प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव नियोजन सहित सभी सम्बन्धित विभागों के प्रमुख सचिव व सचिव सदस्य होंगे। महानिदेशक, युवा कल्याण समन्वय समिति के सदस्य सचिव होंगे। भावी योजनाओं की परिकल्पना के केन्द्र में युवा रहें, इसलिए नियोजन विभाग में भी युवा प्रकोष्ठ गठित किया जाएगा। सरकार के सम्बन्धित विभागों द्वारा युवाओं के लिए बजट में प्राविधान भी कराया जाएगा। राज्य युवा नीति की प्रत्येक 5 वर्ष पर एक बार समीक्षा भी की जाएगी।