लखनऊ। देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में शुरू हुआ घमासान रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। बीते दिन शिवपाल यादव के दो करीबी मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह सहित चीफ सेक्रेटरी दीपल सिंघल को बर्खास्त कर सीएम अखिलेश यादव ने कड़े तेवर दिखाए थे। इसके बाद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर भाई शिवपाल को कमान सौंप दी थी। इससे बौखलाए अखिलेश ने चाचा शिवपाल से सभी अहम मंत्रालय छीन कर कड़ा पलटवार किया था।
अखिलेश के पलटवार के बाद गुस्साए शिवपाल ने सरकार और संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के टूटने के कयासों के बीच मुलायम ने मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने बेटे अखिलेश के फैसले को रद्द कर भाई का इस्तीफा नामंजूर कर दिया। मुलायम ने पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओं के सामने कहा कि गायत्री प्रजापति के खिलाफ की गई सभी कार्रवाई रद्द की जा रही है। उन्हें बहुत जल्द मंत्री पद पर बहाल किया जाएगा। वहीं, शिवपाल यादव यूपी सरकार में मंत्री और प्रदेशाध्यक्ष बने रहेंगे।
यह पहली बार नहीं है जब मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश का कोई फैसला पलटा है। इससे पहले कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा के बाद नाराज अखिलेश यादव ने इस विलय के मध्यस्थ बलराम सिंह यादव को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। दिलचस्प बात ये रही कि मुलायम के लखनऊ में होने के बावजूद उन्हें इस कार्रवाई की कोई जानकारी नहीं दी गई। बलराम सिंह यादव को मुलायम का खास मंत्री बताया जाता है। इसलिए बाद में अखिलेश को उन्हें वापस मंत्रिमंडल में लेना पड़ा।
जानिए कब-कब पलटा सीएम अखिलेश का फैसला –
यूपी का सीएम बनने के बाद अखिलेश को सबसे ज्यादा बिजली संकट से जूझना पड़ा था। इस समस्या के हल के लिए अखिलेश ने फैसला लिया कि सूबे के सभी मॉल्स को रात में जल्दी बंद करा दिया जाएगा। कैबिनेट में फैसले के बाद कई मंत्रियों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद उनको फैसला वापस लेना पड़ा।
- सीएमओ किडनैपिंग केस से चर्चा में आए यूपी के मंत्री पंडित सिंह से अखिलेश ने इस्तीफा ले लिया था। लेकिन बाद में पार्टी के कई नेताओं के दबाव में आकर उनको दोबारा पंडित सिंह को मंत्रिमंडल में वापस लेना पड़ा। पंडित सिंह पर डीएम को धमकाने और इंजीनियर को जान से मारने की धमकी के आरोप लगे हैं।
- अखिलेश ने हर बार कहा कि वह आपराधिक छवि वाले नेताओं को मंत्रिमंडल में नहीं लेंगे। यही वजह थी कि कुंडा कांड के बाद सीबीआई की रडार पर आए रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भैया को वह मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करना चाहते थे, लेकिन सपा प्रभारी मुलायम के दबाव में आकर उन्हें राजा भैया को कैबिनेट मंत्री बनाना पड़ा था।
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सीएम अखिलेश ने कैबिनेट में फैसला लिया था कि यूपी के विधायक अपनी नीधि से 20 लाख रुपये तक की कार खरीद सकते हैं। लेकिन उनके इस फैसले का हर तरफ काफी विरोध हुआ। इसके बाद पार्टी के समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दबाव में उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया था।