बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के पाकिस्तान को लेकर दिये गए बयानों से नाराज मनी ने कहा है कि पीसीबी को आईसीसी टूर्नामेंटों में भारत के खिलाफ खड़े रहना चाहिए। साथ ही मनी ने कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट के अधिकारियों को अगले सप्ताह केपटाउन में होने वाली आईसीसी कार्यकारी बोर्ड की बैठक में भी इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाना चाहिए।
ठाकुर ने पाकिस्तान पर भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कहा था कि तनावपूर्ण स्थिति में पाकिस्तान के साथ भारत के क्रिकेट खेलने का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने निकट भविष्य में भी पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट की संभावनाओं को खारिज किया था। वहीं भारत ने आईसीसी टूर्नामेंटों में पाकिस्तान के साथ भारत को एक ही ग्रुप में नहीं रखने की भी मांग की थी।
मनी ने कहा कि बीसीसीआई प्रमुख ठाकुर ने पाकिस्तान को लेकर जिस तरह के बयान दिये हैं उससे पाकिस्तान का पक्ष मजबूत हुआ है और वह आईसीसी की बैठक में अपनी बात को ज्यादा प्रभावी ढंग से उठा सकता है। पूर्व आईसीसी प्रमुख ने साथ ही कहा कि पाकिस्तान के प्रतिनिधियों को आईसीसी से यह भी मांग करनी चाहिए कि वह ठाकुर से पूछे कि आखिर उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ आपत्तिजनक बयान किस अधिकार से दिये हैं।पाक अधिकारी ने कहा कि ठाकुर सांसद और राजनेता हैं।
आईसीसी को उनसे पूछना चाहिए कि वह पाकिस्तान या क्रिकेट के मुद्दों पर इस तरह की बयानबाजी कैसे कर सकते हैं। आईसीसी के संविधान के अनुसार उसके किसी भी अधिकारी या सदस्य देशों के सदस्यों को ऐसे बयान देने की अनुमति नहीं है जिससे क्रिकेट को किसी तरह का नुकसान हो। मनी ने बताया कि वह पिछले दो वर्ष से पीसीबी को सलाह दे रहे हैं कि उन्हें आईसीसी टूर्नामेंटों में भारत के खिलाफ खेलने से परहेज करना चाहिए और उनका बहिष्कार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत आईसीसी टूर्नामेंटों के ग्रुप चरण में पाकिस्तान के साथ नहीं खेलने की बात कह रहा है। सच तो यह है कि भारत और पाकिस्तान के मैचों से आईसीसी को बहुत कमाई होती है जिसका बड़ा हिस्सा बीसीसीआई को ही मिलता है। उसके बावजूद वह हमारे साथ द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलना चाहते हैं।
पूर्व आईसीसी प्रमुख ने पाकिस्तानी बोर्ड की निंदा करते हुए कहा कि पिछले कई वर्षों से पीसीबी भारत को मनाने में जुटा हुआ है ताकि द्विपक्षीय सीरीज कराई जा सके। लेकिन अब साफ हो गया है बीसीसीआई में पाकिस्तान को लेकर कितना नकारात्मक रुख है । ऐसे में आईसीसी के सामने पाकिस्तान का पक्ष मजबूत है और उसे अपनी बात रखनी चाहिए।