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एचआईवी/एड्स पीड़ित से भेदभाव पर दो साल की जेल

aidsनई दिल्ली । एचआईवी/एड्स के मरीजों के साथ भेदभाव करना और उन्हें बुनियादी अधिकारों से वंचित करना महंगा पड़ सकता है। सरकार इसके लिए कानून बनाने जा रही है। इसमें एचआईवी संक्रमितों के साथ भेदभाव करने पर तीन महीने से लेकर दो साल तक की सजा का प्रावधान किया जा रहा है। आरोपी पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।

देश में करीब 21 लाख एचआईवी रोगी होने का अनुमान है, जिनमें से करीब दस लाख बाकायदा उपचार करा रहे हैं। एचआईवी संक्रमण का पता लगने पर इन लोगों के साथ समाज, कार्यस्थल और रोजगार में भेदभाव होता है। इसे दूरे करने के लिए ही यह विधेयक लाया गया है। काफी समय से यह विधेयक तैयार किया जा रहा था। अब संसदीय समिति की सिफारिशों को शामिल करते हुए इसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि विधेयक के प्रावधानों के अनुसार किसी मरीज को एड्स होने की वजह से किसी भी अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकेगा। चाहे वह रोजगार हो, बीमा हो या अस्पताल में इलाज। मरीजों को इलाज भी उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। साथ ही भेदभाव करने वालों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए हर राज्य में लोकपाल नियुक्त किया जाएगा। शिकायतों के निपटारे के लिए समय सीमा तय की जाएगी।विधेयक में उन बातों को सूचीबद्ध किया गया है जिनके आधार पर एचआईवी संक्रमित लोगों और उनके साथ रह रहे लोगों के साथ भेदभाव करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें रोजगारों, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं, निवास के लिए या किराए पर दी गई संपत्तियों, सार्वजनिक या निजी कार्यालयों में रोजगार और शिकायत तंत्र बनाने, स्वास्थ्य बीमा में भेदभाव दूर करने आदि मुद्दे शामिल हैं।

विधेयक में एचआईवी संक्रमित लोगों और उनके साथ रह रहे लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने की वकालत करने या उनसे संबंधित सूचना प्रकाशित करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।विधेयक नाबालिगों के लिए संरक्षण भी मुहैया कराता है। बारह से 18 साल तक का ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसमें एचआईवी या एड्स से पीड़ित परिवार के मामलों का प्रबंधन करने और उन्हें समझने के लिए पर्याप्त परिपक्वता है, वह 18 वर्ष से कम आयु के अपने अन्य भाई या बहन के संरक्षक की भूमिका निभा सकता है। यह प्रावधान शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले, बैंक खातों के संचालन, संपत्ति के प्रबंधन, देखभाल एवं उपचार संबंधी मामलों में लागू होगा।

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