नई दिल्ली। देश में 176 प्रकाशस्तंभों को पूरी तरह सौर ऊर्जा पर चलाया जा रहा है। निदेशालय ने साल के आखिर तक तक सभी प्रकाशस्तंभों को पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलाने योजना बनाई है।
शिपिंग मंत्रालय के तहत कार्यरत प्रकाशस्तंभ और प्रकाशपोत महानिदेशालय वर्तमान में यह 193 प्रकाशस्तंभों का रखरखाव कर रहा है जो देश के समुद्रीय तट क्षेत्र में आवागमन करने वाले नाविकों को समुद्रीय नेविगेशन में सहायता उपलब्ध कराता है।
सभी प्रकाशस्तंभों के सौर ऊर्जा से परिचालित होने पर लगभग 1.5 (एमडब्ल्यूएच) ऊर्जा का सृजन होगा। जिससे प्रतिदिन 6000 किलोग्राम ग्रीन हाउस गैसों का कम उत्सर्जन होगा। सौर ऊर्जाकृत होने से डीजीएलएल के अधीन प्रकाशस्तंभ हरित ऊर्जा से परिचालित होंगे।
अधिकांश प्रकाशस्तंभ ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों जैसे बिजली और डीजल जेनरेटर से परिचालित थे जिसमें जीवाश्म ईंधन की भारी खपत होने के कारण भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा था। जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ने के साथ-साथ वायु प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हो रही थी।
1 मेगा वाट ऑवर (एमडब्ल्यूएच) विद्युत अगर जीवाश्म ईंधन से पैदा की जाती है तो इससे लगभग 900 किलो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने के लिए डीजीएलएल ने पारंपरिक ऊर्जा का स्रोत बदलने का निर्णय लिया और नवीकरण ऊर्जा के रूप में सौर ऊर्जा के उपयोग से अपने प्रकाशस्तंभों का काम शुरू कर दिया।
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