लखनऊ। एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आईएएस अफसर रमारमण को दुबारा नोएडा अथॉरिटी का अध्यक्ष बनाने को कोर्ट की अवमानना बताया है।
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने 19 सितम्बर 2016 के आदेश में रमा रमण को नोएडा तथा अन्य अथॉरिटी में तैनाती के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर किसी प्रकार की क्लीनचिट नहीं दी थी। इसके विपरीत चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने उनकी तैनाती के दौरान यादव सिंह सहित अन्य घोटाले होने पर गहरी आशंका जाहिर की थी।
नूतन ने कहा कि हाई कोर्ट ने ये याचिकाएं इसलिए खारिज की थीं क्योंकि सरकार रमारमण को पूर्व में ही हटा चुकी थी। यद्यपि कोर्ट ने एक अफसर के एक ही जगह लम्बी तैनाती पर कड़ी टिप्पणी भी की थी। उन्होंने कहा कि नोएडा अथॉरिटी में तैनाती के दौरान उनके कार्यों में गंभीर अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतें रही हैं।
सरकार को कम से कम इतना करना चाहिए कि वहां के प्रशासन को बदल दे क्योंकि एक ही अफसर के एक जगह लम्बी तैनाती से व्यवस्था के प्रति शंका उत्पन्न होती है।
नूतन के अनुसार कोर्ट ने कहा था कि कोई अफसर अपरिहार्य नहीं है लेकिन राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद रमारमण को दुबारा तैनात कर न सिर्फ कोर्ट से छल किया है बल्कि उसकी अवमानना भी है जिसके खिलाफ वे शीघ्र अवमानना याचिका दायर करेंगी।