जबलपुर। भारतीय सेना के सबसे विश्वसनीय युद्ध टैंक ‘अर्जुन’ के पार्ट्स अब ग्रे आयरन फाउंडरी (जीआईएफ) बनाएगी। कई वर्षों की मेहनत के बाद भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ की रिसर्च के बाद तैयार हुए ‘अर्जुन टैंक’ के उत्पादन से जुड़ना जीआईएफ के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जीआईएफ में पूरा प्रोजेक्ट रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) की निगरानी में चल रहा था। ‘अर्जुन’ पूरी तरह भारतीय तकनीक पर आधारित टैंक है। जीआईएफ प्रबंधन ‘अर्जुन टैंक’ के महत्वपूर्ण चार पार्ट्स ढालने की दिशा में काम कर रहा है।
जानकारों के मुताबिक प्रायोगिक तौर पर पार्ट्स का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। यदि जीआईएफ प्रारंभिक टेस्ट में खरा उतराता है तो निर्माणी में नियमित उत्पादन शुरू हो जाएगा। वर्तमान में अर्जुन टैंक का उत्पादन हैवी व्हीकल फैक्टरी मद्रास में होता है लेकिन अर्जुन टैंक की बढ़ती डिमांड को देखते हुए ओएफबी आर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड टैंक के उपकरण अलग-अलग निर्माणियों में बनाने के प्लान पर काम कर रहा है।
चीन की शीर्ष सैन्य अनुसंधान अकादमी ने घरेलू तकनीक से निर्मित भारत के मुख्य युद्ध टैंक एमबीटी अर्जुन की सराहना की है। चीनी विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि अर्जुन में सशस्त्र बलों की इंजीनियरिंग जरूरतों पर ध्यान दिया गया है।
बीजिंग स्थित अकादमी के उप कमांडर वरिष्ठ कर्नल लिउ देजांग ने कहा था कि एमबीटी भारतीय परिस्थितियों के लिए काफी अच्छा है। अर्जुन टैंक को भारतीय सेना में भारतीय वैज्ञानिकों की लगातार 3 दशकों तक की गयी अथक मेहनत व रिसर्च से निकले एक युद्ध विजेता योद्धा के तौर पर देखा गया था।
इस टैंक को भारतीय सेना में वर्ष 2009 में शामिल किया गया और अब तक भारतीय सेना में अर्जुन टैंक की ही दो रेजीमेंट बन चुकी हैं। इन दो रेजीमेंट्स में सेना के पास कुल 124 अर्जुन मार्क-1 टैंक हैं।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal