“कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की बैठक में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने नाराजगी जाहिर की। कमलनाथ ने संगठन पर अपनी राय न लेने का आरोप लगाया, जबकि दिग्विजय ने मीटिंग एजेंडा देर से बताने की शिकायत की।”
भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कांग्रेस संगठन से नाराजगी जताते हुए कहा कि नियुक्तियों और बैठकों में उनकी राय नहीं ली जाती। उन्होंने यह बयान कल रात राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की वर्चुअल मीटिंग में दिया।
इस मीटिंग में कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता, जैसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता विपक्ष उमंग सिंघार और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह शामिल थे। बैठक का मुख्य एजेंडा 26 जनवरी को महू में होने वाली महारैली की तैयारियां थी, जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के शामिल होने की उम्मीद है।
वर्चुअल बैठक में कमलनाथ ने कहा:
“आजकल ऐसा हो रहा है कि संगठन में नियुक्तियों के बारे में मुझसे पूछा नहीं जा रहा है। मेरी राय के बिना फैसले लिए जा रहे हैं। मुझे मीडिया के जरिए मीटिंग की जानकारी मिलती है।”
कमलनाथ, जो मध्य प्रदेश कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, ने हाल के फैसलों पर आपत्ति जताई और कहा कि सीनियर नेताओं से चर्चा होनी चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने भी जताई नाराजगी
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी संगठन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा:
“मीटिंग का एजेंडा बैठक शुरू होने से कुछ मिनट पहले बताया गया। मोबाइल से जुड़ने के लिए कहा गया, जो व्यावहारिक नहीं है।”
जीतू पटवारी का जवाब
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि सभी निर्णय वरिष्ठ नेताओं की राय के आधार पर ही लिए जाते हैं। उन्होंने कहा:
“हो सकता है कि कुछ गलतफहमी हो गई हो। प्रवक्ताओं की नियुक्ति से संबंधित एक पत्र जारी किया गया था, लेकिन वरिष्ठ नेताओं की असहमति के कारण उसे रद्द कर दिया गया।”
कांग्रेस में बढ़ते मतभेद?
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के इन बयानों से मध्य प्रदेश कांग्रेस में आंतरिक दरारें उजागर हो रही हैं। आगामी महारैली में इन मतभेदों का समाधान कांग्रेस के लिए जरूरी होगा, क्योंकि पार्टी को 2023 विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता है।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल