लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने गुरुवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए डिजिटलाइजेशन पर विचार करें। समुचित भण्डारण व्यवस्था करके कृषि उत्पाद को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है।
फसल को बर्बादी से बचाते हुए उसके उप-उत्पाद का सही उपयोग करके उसे भी लाभकारी बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समन्वय कर उसे प्रयोगशाला से खेत तक पहुंचाकर किसानों के जीवन में सुधार की आवश्यकता है।
अनुसंधान को व्यवहार में कैसे लाया जाये उस पर गहनता से अध्ययन और विचार करें। उन्होंने कहा कि किसान समृद्ध होगा तो देश भी समृद्ध होगा।
राज्यपाल गुरुवार को इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय नेशनल कांग्रेस आन हारवेस्ट टेक्नोलाजीज आफ एग्रीकल्चरल प्रोडयूस फार ससटेनेबल एण्ड न्यूट्रिशनल सिक्योरिटी का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री विनोद कुमार सिंह, कुलपति डा. एमडब्ल्यू अख्तर, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. राजेन्द्र प्रसाद, कृषि उत्पाद आयुक्त प्रदीप भटनागर,विदेश से आये विशेषज्ञ सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें भी उपस्थित थे।
श्री नाईक ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सौर ऊर्जा एक अच्छा विकल्प है। कृषि के क्षेत्र में विज्ञान का उपयोग करके किसानों के जीवन में कैसे सुधार आ सकता है, इस पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उसमें ‘जय विज्ञान’ जोड़कर कृषि को नया आयाम दिया। देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। उन्होंने कहा कि किसान को बाजार में उसके उत्पाद का योग्य लाभ दिलाने के लिये ठोस कदम उठाये जायें।।
कृषि मंत्री विनोद कुमार सिंह ने कहा कि फसल की कटाई के बाद एक तिहाई हिस्सा कई कारणों से बर्बाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण संसाधन को और प्रभावी बनाने की जरूरत है।
कृषि उत्पादन आयुक्त प्रदीप भटनागर ने बताया कि कृषि उत्पाद पूरी तौर से उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाता। उन्होंने कहा कि नयी अवस्थापना की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संगोष्ठी से प्राप्त निष्कर्षों पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि कृषि उत्पादों पर जलवायु परिवर्तन का बहुत असर पड़ता है। ऐसे में हमें समवर्गी कृषि उत्पादों पर भी विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव के लिये नीति निर्धारकों को विचार करना होगा।