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मोदी सरकार का फैसला उचित, लेकिन समस्याएं बनी पहाड़

modiभदोही। पांच सौ और हजार की नोटों पर प्रतिबंध के बाद शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों की स्थिति बुरी हो चली है। शहरों में अब आम आदमी का धैर्य जबाब देने लगा है, जबकि ग्रामीण इलाकों में किसान, मजदूर और मध्यमवर्ग काफी परेशान हैं।

शादीयों का मौसम होने से स्थिति खराब हो चली है। लोग चेक का सहारा ले रहे हैं जबकि किसानों की जुताइ बुआई प्रभावित हो रही है। हालांकि लोगों ने सरकार के फैसले को सराहा है।

लोगों का कहना है कि सरकार का फैसला सही है लेकिन समस्या बढ़ गइ है। लोग उधारी के भरोसा काम चला रहे हैं, लेकिन स्थिति बेहद बुरी है इसे अधिक दिन तक नहीं खींचा जा सकता है।

क्योंकि जब आम आदमी परेशान होगा तो उसकी खींझ सरकार के खिलाफ बढ़ेगी।
किसान रमेश का कहना है कि पैसे के अभाव में सरकारी संस्थाएं भी प्रतिबंधित 1000 और 500 की नोट नहीं ले रहे हैं जिससे खाद-बीज नहीं मिल पा रहा है। बुआइ पिछड़ रही है।

रामखेलावन का कहना है कि खेत की जुताई उधार करवा लिया है लेकिन मशीन से पलेवा भी कर लिया, लेकिन अब खाद बीज के लिए पैसे नहीं है।

सरकार ने अच्छा कदम उठाया है लेकिन हम कब तक परेशान होंगे। बैंकों से पैसे नहीं मिल रहे हैं। पान की दुकान चलाने वाली ललिता का कहना है कि हम इस फैसले से खुश हैं। अब लोग विदेशों में पैसा नहीं जमा कर सकते हैं। हम परेशानी सह लेंगे लेकिन सरकार को स्थिति सामान्य करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

युवा दिलीप का कहना है कि बैंकों से पैसा गायब है। पैसा जमा किया जा रहा है लेकिन सरकार ने जितनी लिमिट निधारित किया था वह भी नहीं मिल रहा है। यह स्थिति अधिक दिन चलने वाली नहीं है।

सुनार सुरेश ने बताया कि सोना नहीं मिल पा रहा है। जिससे हम शादी व्याह में आभूषण की आपूति नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी वजह पैसा नहीं मिल पा रहा है बैंक पैसा नहीं दे रहा है। सोने का भाव काफी भाग चला है और व्यापार प्रभावित हो रहा है।

लेकिन सरकार का कदम उचित है। स्थिति को सामान्य करने के लिए जल्द कदम उठाने चाहिए। हालांकि ग्रामीण इलाके में किसान, मजदूर और नौकरी पेशा से लेकर आम आदमी परेशान होते हुए भी सरकार और उसके फैसले के साथ खड़ा है। लेकिन यह स्थिति बहुत दिन तक चलने वाली नहीं है।

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