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विविधता भारत के बहुलवादी समाज के मूल में है : प्रणब मुखर्जी

%e0%a4%a4%e0%a4%9aनई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारतीय सभ्यता विचार और सूचना की नई धाराआंे के लिए हमेशा से खुली रही हैं और यह विविधता हमारे बहुलवादी समाज के मूल में है।

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि हर मायने में भारत परंपरा और आधुनिकता के बीच एक संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने इतिहास और धरोहर को लगभग अपने सभी रस्मों रिवाज में पाते हैं। अपने रोजाना की सांसारिक चीजें और अकादमिक कार्य के रस्म।

विज्ञान, नवोन्मेष और गणित में।और अपनी आध्यात्मिक कोशिश, रचनात्मकता और सांस्कृतिक गतिविधि में। हमारे गांव हमारी परंपराओं में मजबूती से जडें जमाए हुए हैं लेकिन साथ ही साइबर जगत में भी छलांग लगा चुका है।

” राष्ट्रपति ने कहा कि योग और आयुर्वेविदक औषधि प्राचीन भारतीय विज्ञान के उदाहरण हैं जिसका हमारे रोजाना के कामकाज में एक अहम प्रभाव है। वे लोकप्रिय बने हुए हें और सक्रियता से वे पुनर्जीवित और प्रोत्साहित हो रही हैं।

भारतीय सभ्यता हमेशा से विचार एवं सूचना की नई धाराओं के लिए खुली रही है। विविधता हमारे बहुलवादी समाज के मूल में है। उन्होंने विशिष्ट भारतविद पुरस्कार देते हुए यह बात कही।

उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद :आईसीसीआर: का विशिष्ट भारतविद पुरस्कार चीन के प्रो। यू लॉंग यू को दिया। वह शेंझेन विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन केंद्र के निदेशक हैं।

उन्होंने करीब 50 बरस तक भारत विद्या का अध्ययन किया है और अब दक्षिण चीन में इसके प्रचार में अग्रणी हैं। उन्होंने भारतीय उपन्यासों, नाटकों का अनुवाद किया है और उनके 80 से अधिक अकादमिक आलेख प्रकाशित हुए हैं।

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