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देश के विकास के लिए सामाजिक एकता जरूरी: डॉ. मधुसूदन

sanदेवरिया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की ओर से बुधवार को देवरिया स्थित बीआरडी पीजी कालेज के सभागार में संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला सरसंघचालक डा. मधुसूदन मिश्र ने “सामाजिक समरसता” विषय पर व्याख्यान समारोह को संबोधित किया।

डॉ. मिश्र ने कहा कि देश के विकास के लिए सामाजिक एकता की आवश्यकता होती है। समाज में एकता की पूर्व शर्त है सामाजिक समता। समता से ही सामाजिक एकता आती है। इसके लिए प्रयत्न करना होगा।

डॉ. मिश्र ने कहा कि सामाजिक समरसता के लिए समाज में जागरूकता लाने के लिए समता और समारसता मूलक कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए। भारतीय समाज में विविधता है। स्वभाव, क्षमता और वैचारिक स्तर पर विविधता का होना स्वाभाविक भी है।

भाषा, खान-पान, देवी-देवता, पंथ-सम्प्रदाय तथा जाति व्यवस्था में भी विविधता है। परंतु, यह विविधता कभी हमारी आत्मीयता में बाधा उत्पन्न नहीं करती। विविध प्रकार के लोगों का समूह होने के बावजूद हम सब एक हैं। समान व्यवहार, समता का व्यवहार होने से यह विविधता भी समाज का अलंकार बन जाती है।

विभाग संगठन मंत्री प्रवीण गुंजन ने कहा कि हमारे देश में विविधताओं में सबसे अधिक चर्चा जातिगत व्यवस्था की होती है। जातिभेद के कारण ही सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं। ये समस्याएं विषमता को जन्म देती हैं। जिसके कारण संघर्ष होता है।

इसलिए समाज से जातिभेद को दूर करना होगा। उन्होंने इसे दूर करने पर जोर देते हुए कहा कि सामाजिक समरसता से ही इसे दूर किया जा सकता है। सामाजिक समरसता के लिए जातिगत व्यवस्थाओं को सही दिशा में काम करना चाहिए। जब तक सामाजिक भेदभाव रहेगा तब तक बाबा साहेब के सपनों को साकार नहीं किया जा सकता।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बीआरडीपीजी कालेज के प्रचार्य डा. अवधेश सिंह जी ने सामाजिक समरसता के लिए भारतीय जीवन मूल्यों को आचरणीय बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समरसता की शुरुआत स्वयं से करनी होगी।

“हजार भाषणों से ज्यादा असर एक कार्यकर्ता के व्यवहार का होता है।” इसलिए हमारा मन निर्मल हो, हमारा वचन दंशमुक्त हो, हमारे वचन से किसी को पीड़ा न हो। हम सबका व्यवहार सभी लोगों को अपना मित्र बनाने वाला होगा, तब समाज में समरसता का भाव विकसित होगा।

कार्यक्रम का संचालक नगर अध्यक्ष डॉ भावना सिनहा ने किया कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित डा मुकुल लवानिया, शुभम मणि त्रिपाठी, अमृतांश मिश्र, विपिन तिवारी, चंद्रकांत सिंह, आशुतोष, सुंदरम, प्रदुम्न, पियूष, अंकित, भीम वर्मा, रिशु तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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