लखनऊ। लाठीचार्ज के बाद शिक्षक की मौत के बाद सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में जबरदस्त हंगामा हुआ। साथी की मौत से नाराज प्रदर्शनकारियों ने इमरजेंसी में इलाज बंद करा दिया।
इसका खामियाजा दूसरे भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ा। वहीं गंभीर रूप से इलाज के लिए आए मरीजों को मायूस लौटना पड़ा।
शाम करीब चार बजे तक सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में सैकड़ों की संख्या में शिक्षक सिविल अस्पताल में जुट चुके थे।
इसी दौरान साथी की मौत की खबर से प्रदर्शनकारियों का गुस्सा भड़क उठा। इमरजेंसी में बखेड़ा शुरू कर दिया। मुआवजे व इलाज में कोताही बरते जाने का आरोप लगाते हुए नाराज शिक्षिकों ने बवाल शुरू कर दिया।
इसकी वजह से इमरजेंसी में अफरा-तफरी मच गई। इमरजेंसी गेट से लेकर वार्ड तक शिक्षकों की भीड़ थी। मरीज व तीमारदारों की आवाजाही पूरी तरह से प्रभावित थी। शिक्षकों ने शासन व पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। शाम करीब साढ़े सात बजे तक इमरजेंसी में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।
बवाल से इमरजेंसी में ठप हो गया इलाज, पैरामेडिकल स्टाफ भागा
बवाल से बचने के लिए नर्स व दूसरे पैरामेडिकल स्टाफ भाग खड़े हुए। इसकी वजह से भर्ती मरीजों का इलाज ठप हो गया। डॉक्टर भी किसी तरह जान बचाकर बाहर निकल गए। वहीं कैंट निवासी सांस फूलने की परेशानी के साथ पहुंचे अकबर अली की भर्ती नहीं हो सकी। इमरजेंसी ओपीडी में मरीज की सुनने वाला कोई नहीं था।
उन्हें देखा तक नहीं गया। इसी तरह रायबरेली के लालगंज की अनीता वाल्मीकी को भर्ती नहीं किया जा सका। अनीता को घबराहट व सीने में दर्द के बाद परिवारीजन अस्पताल लेकर आए थे।
गंभीर हाल में परिवारीजन उन्हें दूसरे अस्पताल ले गए। करीब चार बजे घायल रघु को स्ट्रेचर पर भर्ती किया गया। बेड न होने से उसे शिफ्ट नहीं किया जा सका। हंगामे की वजह से वह करीब पांच घंटे तक स्ट्रेचर पर ही तड़पता रहा। अफरा-तफरी की वजह से एक मरीज बिना बताए चला गया।
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