लखनऊ। सहारा इण्डिया के लाख दावों के बाद भी कर्मचारियों का उत्पीड़न जारी है। कंपनी के मैनेजमेंट के उत्पीड़न की आलम यह है कि 38 साल बाद वहां काम कर रहे कर्मचारियों को यूनियन का दामन थामना पड़ा।
कर्मचारियों का आरोप है कि मैनेजमेंट लगातार कर्मचारियों को अलग अलग कारण बताकर उत्पीड़न करने में जुटा हुआ है ताकि कर्मचारी स्वयं नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाए।
नौबत यहां तक पहुंच गई की सहारियन कामगार संगठन के बैनर तले 72 कर्मचारियों ने सहारा मैनेजमेंट द्वारा आर्थिक एवं मानसिक शोषण के विरोध में अपर श्रम आयुक्त का चौखट तक जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
शनिवार का यूपी प्रेस क्लब में संगठन की ओर से हुए प्रेसवार्ता में कंपनी द्वारा शोषण के शिकार कर्मचारियों को दर्द छलक कर बाहर आया। संगठन के अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी ने बताया कि सहारा इण्डिया के मैनेजमेंट द्वारा लगातार प्रताड़ित होने के बाद कर्मचारियों को संगठन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
त्रिवेदी ने बताया कि अपर श्रम आयुक्त लखनऊ को 1 दिसम्बर 2016 को मांग पत्र दिया गया जिसको संज्ञान में लेते हुए इस गंभीर विषय पर अपर श्रम आयुक्त द्वारा सहारा प्रबन्धन को एक नोटिस जारी कर यूनियन के पदाधिकारियों से स्वयं के समक्ष वार्ता करने के लिए बीते 8 दिसम्बर को सहारा प्रबन्धन के अधिकृत अधिकारी को तलब किया था।
परन्तु सुनवाई कि तारीख पर सहारा इण्डिया के अधिकृत अधिकारी 15 दिसम्बर को शहर से बाहर होने का हवाला देकर अपर श्रम आयुक्त से अगली तिथि की मांग की गई जिस पर सहारा प्रबन्धन को पुन: 16 दिसम्बर को तलब किया गया था लेकिन प्रबन्धन की ओर से कोई भी अधिकृत अधिकारी श्रम आयुक्त कार्यालय में उपस्थित नहीं हुआ जिस पर अपर श्रम आयुक्त ने कड़ी आपत्ति जताई है।
वहीं हमेशा की तरह सहारियन कामगार संगठन के पदाधिकारी अपने सभी सदस्यों के साथ मौजूद रहे। त्रिवेदी ने कहा सहारा प्रबन्धन की ओर से उपस्थित प्रतिनिधि को अपर श्रम आयुक्त ने फटकार लगाते हुए कड़े शब्दो में उनके और समय देने की मांग को नकारते हुए आदेश जारी किया कि अगली सुनवाई 19 दिसम्बर को होगी जिसमें सहारा प्रबन्धन को अधिकृत अधिकारी की उपस्थित अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि प्रबन्धन के उत्पीड़न का अंदाजा इसी बात से लगाई जा सकती है कि वह अपर श्रम आयुक्त को यह बताने में जुटी हुई है कि यह यूनियन ही अवैध है।
प्रेसवार्ता में महिला कर्मचारियों ने कहा कि सहारा इण्डिया के लखनऊ कमाण्ड में कार्यरत सभी कर्मचारियों को लगभग दो साल से वेतन तक नहीं मिला है जिसके चलते कर्मचारियों को घर चलाना मुश्किल हो गया है। कर्मचारियों द्वारा वेतन मांगने पर स्थानांतरण कर दिया जा रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि कई कर्मचारी अपने परिवार को गांव में भेज दिए है जिससे दो वक्त की रोटी मिल सके।
यूनियन के महामंत्री ने निर्भय कुमार सक्सेना ने कहा कि यूनियन, कर्मचारी एवं प्रबंधतंत्र के बीच की कड़ी होती है। और संस्था के प्रबंध तंत्र, संगठन एवं कर्मचारियों के बीच पारदर्शिता स्थापित करने का काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा प्रबन्धन से अनुरोध है कि वे संगठन को तोड़ने या अमान्य सिद्ध करने में अपनी शक्ति व्यर्थ न करे बल्कि कर्मचारियों को हितों पर ध्यान दे जो सभी के लिए कल्याणकारी होगा।
निर्भय ने कहा सहारा इण्डिया में काम करने वाले कर्मचारियों को 30 साल बाद यूनियन बनाने की जरूरत क्यों पड़ी यह सभी समझ सकते है। प्रेसवार्ता में सहारियन कामगार संगठन लखनऊ की उपाध्यक्ष अब्दुल मुईद, सुनील कुमार तिवारी, महामंत्री निर्भय कुमार सक्सेना, कोषाध्यक्ष रत्नेश कुमार शर्मा, उपमंत्री आर एलीसन कैचिक्र व हिन्द मजूदर सभा के महामंत्री उमाशंकर भारी संख्या में पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।