लखनऊ। एलडीए के सैकड़ों आवंटी हाईकोर्ट का आदेश लिए अपने प्लाट के लिए विभाग के चक्कर काट रहे हैं।
एक ओर उन्हें प्लाट उपलब्ध कराने के लिए लगातार एलडीए प्रशासन द्वारा जमीन नहीं होने का रोना रोया जा रहा है, लेकिन प्रापर्टी डीलरों को करोड़ों की जमीन देने की तैयारी की जा रही है।
गोमतीनगर विस्तार में एलडीए ऐसे ही एक प्रापर्टी डीलर दिलीप बाफिला को एक दो नहीं पूरे 29 प्लाट देने जा रहा है। इस जमीन की कीमत 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की बताई जा रही है।
एलडीए इसके लिए जनता की सामुदायिक सुविधाओं की जमीन का भू-उपयोग तक बदलने जा रहा है। नगर नियोजक टीपी सिंह ने इन प्लाटों का ले आउट भी बना दिया। अब बुधवार (आज) को होने वाली बोर्ड की बैठक में इसे मंजूरी के लिए रखा जा रहा है।
हाईकोर्ट के आदेश का एलडीए दे रहे हवाला
लखनऊ विकास प्राधिकरण हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर प्रापर्टी डीलर दिलीप बाफिला की हिमालयन सोसाइटी को 20 करोड़ के 29 प्लाट दे रहा है। अधिकारियों का कहना है कि हाईकोर्ट ने 2015 में बाफिला को प्लाट देने का आदेश किया था। उसी के तहत इसे दिया जा रहा है।
एलडीए सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों ने जान बूझकर हाईकोर्ट में इस केस की पैरवी नहीं की। एलडीए के एक उपाध्यक्ष के निर्देश पर पैरवी नहीं की गई। जिससे कोर्ट ने एलडीए के खिलाफ आदेश किया। पूर्व उपाध्यक्ष सतेन्द्र सिंह ने इसी वर्ष बाफिला को दर्जनों प्लाट दिए थे। अब एक फिर उसे जनता के सामुदायिक सुविधाओं के प्लाट का भू-उपयोग बदल कर जमीन दी जा रही है। उसे कुल 40 हजार वर्गफुट जमीन दी जा रही है। पूर्व उपाध्यक्ष सतेन्द्र सिंह ने विगत 26 अगस्त को जमीन देने का प्रस्ताव बोर्ड में रखने का फाइल पर आदेश किया था। अब उसी के तहत अधिकारी इस फाइल को बोर्ड के समक्ष ले जा रहे हैँ।
हजारों आवंटी प्लाट के लिए भटक रहे
एलडीए की गोमतीनगर विस्तार योजना के करीब 500 आवंटी अपने प्लाटों के लिए वर्षों से भटक रहे हैं। इनमें से दर्जनों लोग हाईकोर्ट का आदेश लिए घूम रहे हैं। कुछ लोग तो जमीन की रजिस्ट्री कराकर घूम रहे हैं लेकिन एलडीए उन्हें कब्जा नहीं दे पा रहा है। कानपुर रोड, बसंतकुंज में ऐसे आवंटियों की संख्या तीन हजार से ज्यादा है। इन्हें प्लाट देने के बजाए एलडीए प्रापर्टी डीलरों को थोक के भाव प्लाट दे रहा है। इसके पीछे सरकार के रसूखदारों की पैरवी उनकी ताकत का अहसास करा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी एलडीए के ठेंगे पर
एलडीए सुप्रीम कोर्ट से आदेश होने के बावजूद आवंटियों को प्लाट नहीं दे रहा है। नेहरू एंक्लेव के आवंटियों को पहले हाईकोर्ट ने प्लाट देने का आदेश किया। एलडीए ने लोगों को प्लाट-मकान कुछ नहीं दिया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एलडीए सुप्रीम कोर्ट गया। तीन सालों से वह आवंटियों को सुप्रीम कोर्ट में परेशान करता रहा। एलडीए वहां से हार गया। फिर भी उसने अभी तक नेहरू एंक्लेव के आवंटियों को प्लाट नहीं दिया।
इसमें से कई लोगों के प्लाटों की रजिस्ट्री तक हो चुकी है। 20 साल से लोग भटक रहे हैं। एलडीए उन्हें 10 प्लाट नहीं दे पा रहा है, लेकिन बिल्डर के लिए सामुदायिक सुविधा की जमीन को आवासीय में करके प्लाट दिया जा रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को एलडीए प्रशासन ने ठेंगे पर रख दिया है। इस प्रकरण पर उपाध्यक्ष डा. अनूप यादव के नंबर पर कई बार काल की गई लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।
वर्जन
– गोमतीनगर विस्तार योजना मेरे कार्यक्षेत्र में नहीं है। इस योजना को उपाध्यक्ष स्वयं देख रहे हैं। प्रापर्टी डीलर को जमीन देने का मामला बोर्ड बैठक में रखे जाने की जानकारी उन्हें नहीं है। इस मामले में उपाध्यक्ष ही कुछ बता सकते हैं- अरुण कुमार, सचिव एलडीए