भोपाल। भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सूरज कैरो ने कहा कि दलितों के नाम पर राजनीति को कारोबार में नहीं बदला जाना चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने ऐसा करके दलित अस्मिता को आहत किया है।
मायावती जिस तरह गलत रास्ता अख्तियार कर घोटाला और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन दे रही है, उससे लगता है कि उन्होंने दलित बेटी को भ्रष्टाचार करने का लायसेंस मान लिया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार, घोटालों, आतंकवाद, विध्वंसक गतिविधियों का पोषण करने वाले कालेधन पर बंदिश लगाने के लिए विमुद्रीकरण किया और चुनाव सुधार के लिए भी ऐसा करना आवश्यक बताया है।
ऐसे में यदि बसपा प्रमुख मायावती, राहुल गांधी और ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल विमुद्रीकरण का परोक्ष में विरोध करते है तो वे स्वयं अपनी मंशा को बेनकाब कर रहे हैं।
कैरो ने कहा कि मायावती ने 8 नवंबर 2016 को विमुद्रीकरण के बाद 104 करोड़ रूपए बैंक में जमा करायी, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि यह नोट रद्दी में तब्दील हो रहे है। विमुद्रीकरण न होती तो इसकी जरूरत नहीं पड़ती। मायावती पर राजनीतिक आघात नहीं यह वित्तीय नियमन में लगी संस्थाओं का संवैधानिक दायित्व है।
इसमें राजनीति कहां से आ गयी? दलितों का भावनात्मक दोहन करना मायावती का शगल है। उनके कार्यो से न तो स्व. कांशीराम के आदर्श मेल खाते हैं और न डॉ. अंबेडकर का दलित स्वाभिमान जगाने का उद्देश्य पूरा होता है। मायावती ने तो दलित प्रेम को कारोबार में बदल डाला है।