लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम और मुख्यमंत्री अखिलेश के बीच चल रही तल्खी के दौर को समाप्त कराने में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव तथा प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री मो.आजम खां ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लालू प्रात पहले सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह से वार्ता की और बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से टेलीफोन पर वार्ता की। लालू यादव ने मुलायम को पिता व पुत्र के रिश्तों के उल्लेख करने के समय बाप की भूमिका निभाने तथा बेटे के प्रति नरम रुख अख्तियार करने तथा मुख्यमंत्री से भी पिता से नाराज न होने की सलाह दी। उन्होंने दोनों पक्षो से वार्ता करने की जानकारी एक दूसरे को दी।
इसी दौरान प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री मो.आजम खां जो पार्टी में उपजे विवाद और दोनों तरफ से होने वाली क्रिया -प्रतिक्रिया से दुखी थे उन्होंने संकट मोचक की भूमिका निभाने का दायित्व लिया। उन्होंने सपा सुप्रीमों से उनके आवास पर जाकर पहले मुलाकात की और वहां से सीधे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे।
मुख्यमंत्री को साथ लेकर आजम खां मुलायम के आवास पर गए। पिता -पुत्र को आमने -सामने करने के बाद मुलायम से नरम होने और नाराज बेटे को मनाने का दायित्व बाप को निभाने बात कही। इस पर मुख्यमंत्री ने नेता जी के पैर छुए। मुलायम ने बेटे को मनाने के लिए उन्होंने शिवपाल को बुलवाकर मुख्यमंत्री और राम गोपाल का निष्कासन वापस लेने का निर्देश दिया।
नेताजी और मुख्यमंत्री के बीच पुन रिश्ते सुधरने की स्थिति पर मो आजम ने प्रसन्नता जाहिर किया। बाद में आजम खां संवाददाता सम्मेलन में साफ किया कि नेताजी और अखिलेश के बीच बिगडते रिश्ते से दुखी थी। इसलिए उन्होंने दोनों को मिलवाने की भूमिका निभाने का फैसला किया । उनकी पहल कामयाब रही। इसकी खुशी है।
उन्होने बताया कि पिता जब बेटे से नाराज होता है तो उसे ही बेटे को मनाने की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। बेटे को मनाने के लिए उसे टाफी व विस्कुट जैसे अन्य चीजों को देने की पहल करनी होती है।
संवाददाताओं ने जब उनसे प्रश्न किया कि विवाद की जड सांसद अमर सिंह को निकालने का कोई प्रस्ताव हुआ है क्या। इस पर उन्होंने टका जवाब दिया कि वे पार्टी में हैं कहां। उन्होंने बताया कि पार्टी में अब ठीक हो गया है और पार्टी के सभी लोग एक जुट हैं मिलकर काम करेंगे।