देश के अतिसंवेदनशील नरौरा एटॉमिक पावर प्लांट (एनएपीपी) की सुरक्षा दो बार दांव पर लग गई। बीएसएनएल के अफसरों और ठेकेदारों की लापरवाही से एनएपीपी का कम्यूनिकेशन सिस्टम 25 दिसंबर को 22 घंटे और आठ जनवरी को 25 घंटे तक ठप रहा। एनएपीपी के आईटी हेड ने बीएसएनएल के जीएम को पत्र लिखकर नाराजगी जताते हुए इसे ब्लैकआउट करार दिया है।
एनएपीपी की सुरक्षा को देखते हुए बीएसएनएल ने कम्यूनिकेशन नेटवर्क बेहतर करने को दो तरफ से लाइन बिछाई है। कम्यूनिकेशन नेटवर्क एक तरफ से नरौरा-राजघाट-डिबाई लाइन से जोड़ा गया है तो दूसरी जहांगीराबाद-दानपुर लाइन से नेटवर्क जोड़ा गया है।
इसमें 161 लैंडलाइन, एक 10 एमबीपीएस स्पीड नेट कनेक्शन लाइन, डाटा कम्यूनिकेशन के लिए एक 2 एमबीपीएस स्पीड लाइन और दो अन्य लाइनें जुड़ी हुईं हैं। 25 दिसंबर को बिजली के तार डालने के लिए खुदाई में जहांगीराबाद-दानपुर की बीएसएनएल की ऑप्टीकल फाइबर केबल नेटवर्क लाइन कट गई थी।
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तभी पता चला कि एनएपीपी को आ रही बीएसएनएल की नरौरा-राजघाट-डिबाई केबल नेटवर्क भी खराब पड़ी है। 25 दिसंबर को 22 घंटे परमाणु संयंत्र कम्यूनिकेशन से कटा रहा। यही घटना आठ जनवरी को दोबारा हुई। आठ जनवरी को नरौरा-राजघाट-डिबाई की ऑप्टीकल फाइबर केबल नेटवर्क लाइन फिर फेल हुई। करीब 25 घंटे तक बीएसएनएल का कम्यूनिकेशन सिस्टम ब्लैक आउट रहा। दो बार ब्लैक आउट से एनएपीपी अफसरों के हाथ-पैर फूल गए। एनएपीपी के आईटी हेड संजय कुमार ने नाराजगी व्यक्त करते हुए बीएसएनएल के जीएम को पत्र लिखा है।
पांच हजार रुपये जुर्माने में निपट गया मामला
परमाणु संयंत्र इतनी बड़ी सूरक्षा के बाद भी मामला ठेकेदार पर सिर्फ पांच हजार रुपये जुर्माना लगाकर निपटा दिया गया। बीएसएनएल के जीएम रामविलास वर्मा ने बताया कि लाइन मेंटेंनेस का टेंडर एक ठेकेदार पर है। ठेकेदार की जिम्मेदारी थी कि लाइन को तीन घंटे में सही करे। ठेकेदार के खिलाफ पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। इससे ज्यादा के जुर्माने का विभाग में प्रावधान नहीं है।
एनएपीपी में संचार का एकमात्र साधन है बीएसएनएल
नरौरा परमाणु प्लांट में कम्यूनिकेशन का सिस्टम सिर्फ बीएसएनएल पर निर्भर है। संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण कोई भी व्यक्ति अंदर मोबाइल साथ नहीं ले जा सकता है। शीर्ष अधिकारी चेकिंग के बाद ही अंदर मोबाइल लेकर प्रवेश कर सकते हैं।
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यह रही बीएसएनएल की बड़ी चूक
नरौरा परमाणु केंद्र की संचार व्यवस्था निर्वाध बनाए रखने के लिए ही दो अलग-अलग लाइनें डाली गई हैं। पहली बार जब एक लाइन में फाल्ट आया, तब पता चला कि दूसरी लाइन पहले से ही खराब है। इतने पर भी विभागीय अधिकारी नहीं चेते और उन्होंने लाइन को चेक नहीं कराया। यही वजह रही कि दूसरी बार भी दूसरी लाइन पर काम होने के दौरान केबल कट गई तो दूसरी लाइन भी खराब थी, जिससे संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई।