लखनऊ । प्रदेश विधान सभा की रसडा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विधायक उमा शंकर सिंह की सदस्यता समाप्त कर दी गई है।
निर्वाचन आयोग का अभिमत मिलने के बाद आज राज्यपाल राम नाईक ने शनिवार को यह आदेश दिया ।
बलिया जिले की रसडा विधान सभा सीट से बसपा विधायक उमा शंकर सिंह की सदस्यता समाप्त करने के संबंध में 10 जनवरी, 2017 को निर्वाचन आयोग से प्राप्त अभिमत के आधार पर राज्यपाल ने छह मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता समाप्ति का निर्णय पारित किया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव मार्च, 2012 में सम्पन्न हुआ था और निर्वाचन आयोग द्वारा चुने गए विधायकों को छह मार्च, 2012 को निर्वाचित घोषित किया गया था।
एडवोकेट सुभाष चन्द्र सिंह ने 18 दिसम्बर, 2013 को शपथ पत्र देकर बसपा विधायक उमा शंकर सिंह के विरूद्ध उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त अधिनियम, 1975 के अंतर्गत शिकायत करते हुये आरोप लगाया था कि विधायक निर्वाचित होने के बाद भी वे सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य कर रहा था।
प्रदेश के तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने प्राप्त शिकायत की जांच में सरकारी कन्टैंक्ट लेने के आरोप में विधायक उमा शंकर सिंह को दोषी पाते हुये 18 फरवरी 2014 को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को प्रेषित की थी। मुख्यमंत्री द्वारा 19 मार्च, 2014 को यह प्रकरण निर्वाचन आयोग के परामर्श के लिए राज्यपाल को संदर्भित किया गया था। तत्कालीन राज्यपाल ने प्रकरण निर्वाचन आयोग के अभिमत के लिये तीन अप्रैल 2014 को संदर्भित कर दिया था।
निर्वाचन आयोग से 03 जनवरी, 2015 को अभिमत प्राप्त होने पर उमा शंकर सिंह ने राज्यपाल नाईक के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये समय दिये जाने का अनुरोध किया था जिसे स्वीकार करते हुये राज्यपाल ने 16 जनवरी, 2015 को भेंट कर उनका पक्ष सुना। तत्पश्चात राज्यपाल ने आरोपों को सही पाते हुये 29 जनवरी, 2015 को उमा शंकर सिंह को विधायक निर्वाचित होने की तिथि छह मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।
राज्यपाल के निर्णय के विरूद्ध अयोग्य घोषित विधायक ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वाद दायर किया था, जिस पर 28 मई, 2015 को निर्णय देते हुये न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं शीघ्रता से जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराये और उसके पश्चात राज्यपाल प्रकरण में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें।
उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में निर्वाचन आयोग ने विधायक उमा शंकर की प्रकरण में जांच की एवं सुनवाई का अवसर प्रदान किया। निर्वाचन आयोग में निर्णय में देरी होने के कारण राज्यपाल ने पिछले साल नौ अगस्त को विधायक के सदस्यता के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र प्रेषित किया था, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने गत एक सितम्बर को पत्र द्वारा अवगत कराया था कि प्रकरण की जांच पूर्ण होने पर आयोग द्वारा शीघ्र उन्हें अभिमत से अवगत कराया जायेगा।
राज्यपाल ने पिछले साल 16 सितम्बर को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त से दूरभाष पर बातचीत भी की थी जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रकरण पर शीघ्र निर्णय लेने की बात कही थी। उसके बाद श्री नाईक ने पिछले साल सात जनवरी , 23 मई , पांच नवम्बर एवं 14 दिसम्बर को स्मरण पत्र भी भेजे थे।
राज्यपाल ने अपने आदेश की प्रति निर्वाचन आयोग नई दिल्ली, माता प्रसाद पाण्डेय विधान सभा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा उमा शंकर सिंह को भी प्रेषित की है। उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव राहुल भटनागर को आदेश की प्रति इस आशय से प्रेषित की है कि उक्त आदेश को राजकीय गजट में अविलम्ब प्रकाशित कराया जाये तथा प्रकाशित गजट अधिसूचना की सात प्रतियाँ राज्यपाल सचिवालय उत्तर प्रदेश को यथाशीघ्र प्रेषित की जायें।