सपा में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के गुट के बीच इलेक्शन सिंबल को लेकर जारी विवाद पर सोमवार को चुनाव आयोग फैसला सुना सकता है। फैसला आने की उम्मीद इसलिए ज्यादा है, क्योंकि यूपी में पहले फेज की वोटिंग के लिए 17 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी होगी और नॉमिनेशन फाइल करने की प्रॉसेस शुरू कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि इलेक्शन कमीशन साइकिल को फ्रीज कर देगा और दोनों गुटों को नए सिंबल देगा।
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37 साल पहले भी ऐसा ही हुआ था…
– संविधान एक्सपर्ट सुभाष कश्यप बताते हैं, ”दोनों गुट यह दावा कर रहे हैं कि वे ही असली समाजवादी पार्टी हैं। इलेक्शन कमीशन देखेगा कि किससे पास पार्टी के ज्यादा विधायक, सांसद, एमएलसी और पदाधिकारी हैं। इसको देखते हुए फैसला होगा कि पार्टी का सिंबल (साइकिल) किसे दिया जाए।”
– ”होे सकता है कि किसी को भी सिंबल ना दिए जाए। अगर तस्वीर साफ नहीं हुई तो इलेक्शन कमीशन दोनों गुटों को नए सिंबल भी दे सकता है।”
– बता दें कि 1979 में Congress (I) और Congress (U) जैसे दो गुटों और 1980 में बीजेपी और जनता पार्टी को चुनाव आयोग ने इंटरिम ऑर्डर के तहत मान्यता दी थी। दोनों को अलग-अलग चुनाव चिह्न मिले थे। लिहाजा, सपा के दोनों गुटों के साथ भी ऐसा ही हाे सकता है।
– ”होे सकता है कि किसी को भी सिंबल ना दिए जाए। अगर तस्वीर साफ नहीं हुई तो इलेक्शन कमीशन दोनों गुटों को नए सिंबल भी दे सकता है।”
– बता दें कि 1979 में Congress (I) और Congress (U) जैसे दो गुटों और 1980 में बीजेपी और जनता पार्टी को चुनाव आयोग ने इंटरिम ऑर्डर के तहत मान्यता दी थी। दोनों को अलग-अलग चुनाव चिह्न मिले थे। लिहाजा, सपा के दोनों गुटों के साथ भी ऐसा ही हाे सकता है।
पार्टी सिंबल को लेकर लड़ाई क्यों?
– दरअसल, अखिलेश और मुलायम ने यूपी चुनाव के मद्देनजर विधानसभा कैंडिडेट्स की अलग-अलग लिस्ट जारी की थी।
– इसके बाद दोनों ने पार्टी की मीटिंग बुलाई। मुलायम की मीटिंग में महज 17 विधायक पहुंचे, जबकि अखिलेश से मिलने 207 विधायक पहुंचे थे।
– इसके आद अखिलेश के गुट ने पार्टी पर अपना कंट्रोल होने का दावा किया। अब पार्टी के इस झगड़े में दोनों ही खेमे पार्टी के सिंबल (साइकिल) से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
– दरअसल, अखिलेश और मुलायम ने यूपी चुनाव के मद्देनजर विधानसभा कैंडिडेट्स की अलग-अलग लिस्ट जारी की थी।
– इसके बाद दोनों ने पार्टी की मीटिंग बुलाई। मुलायम की मीटिंग में महज 17 विधायक पहुंचे, जबकि अखिलेश से मिलने 207 विधायक पहुंचे थे।
– इसके आद अखिलेश के गुट ने पार्टी पर अपना कंट्रोल होने का दावा किया। अब पार्टी के इस झगड़े में दोनों ही खेमे पार्टी के सिंबल (साइकिल) से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
आयोग में 4 घंटे चली थी सुनवाई
– बता दें, इससे पहले बीते 13 जनवरी को चुनाव आयोग में इस मामले में 4 घंटे तक सुनवाई चली थी। सपा के दोनों गुटों ने आयोग के सामने अपना-अपना पक्ष रखा था।
– सुनवाई के बाद अखिलेश गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था, “आयोग ने फैसला रिजर्व कर लिया है। जल्द ही पता चल जाएगा कि किस गुट को पार्टी सिंबल दिया जाना है।”
– अखिलेश गुट के एक और वकील सुमन राघव ने कहा था कि हमने पूरी ताकत से चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखा।
– सपा के सूत्रों की मानें तो रामगोपाल पक्ष ने आयोग से कहा था कि अखिलेश को पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है, सिंबल भी उन्हीं का है।
– वहीं, मुलायम पक्ष ने कहा कि मीटिंग असंवैधानिक थी, रामगोपाल बर्खास्त थे।
– उधर, सुनवाई के लिए मुलायम के साथ शिवपाल यादव ईसी ऑफिस में मौजूद रहे।
– मुलायम की तरफ से वकील एम सी ढींगरा, एन हरिहरन और मोहन परसरन मौजूद रहे।
– बता दें, इससे पहले बीते 13 जनवरी को चुनाव आयोग में इस मामले में 4 घंटे तक सुनवाई चली थी। सपा के दोनों गुटों ने आयोग के सामने अपना-अपना पक्ष रखा था।
– सुनवाई के बाद अखिलेश गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था, “आयोग ने फैसला रिजर्व कर लिया है। जल्द ही पता चल जाएगा कि किस गुट को पार्टी सिंबल दिया जाना है।”
– अखिलेश गुट के एक और वकील सुमन राघव ने कहा था कि हमने पूरी ताकत से चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखा।
– सपा के सूत्रों की मानें तो रामगोपाल पक्ष ने आयोग से कहा था कि अखिलेश को पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है, सिंबल भी उन्हीं का है।
– वहीं, मुलायम पक्ष ने कहा कि मीटिंग असंवैधानिक थी, रामगोपाल बर्खास्त थे।
– उधर, सुनवाई के लिए मुलायम के साथ शिवपाल यादव ईसी ऑफिस में मौजूद रहे।
– मुलायम की तरफ से वकील एम सी ढींगरा, एन हरिहरन और मोहन परसरन मौजूद रहे।
अखिलेश ले सकते हैं मोटरसाइकिल सिंबल
– सपा के सूत्रों के मुताबिक, अगर अखिलेश को ‘साइकिल’ नहीं मिलती है तो वे मोटरसाइकिल को सिंबल के तौर पर अपना सकते हैं।
– रामगोपाल ने चुनाव आयोग को बताया, “अखिलेश यादव को 90% एमएलए का सपोर्ट हासिल है। वे ही पार्टी को लीड कर रहे हैं। लिहाजा, इस धड़े को ही सपा माना जाना चाहिए।”
– सपा के सूत्रों के मुताबिक, अगर अखिलेश को ‘साइकिल’ नहीं मिलती है तो वे मोटरसाइकिल को सिंबल के तौर पर अपना सकते हैं।
– रामगोपाल ने चुनाव आयोग को बताया, “अखिलेश यादव को 90% एमएलए का सपोर्ट हासिल है। वे ही पार्टी को लीड कर रहे हैं। लिहाजा, इस धड़े को ही सपा माना जाना चाहिए।”
ऐसे शुरू हुआ सिंबल विवाद
– अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच विवाद अक्टूबर से शुरू हो गया था। लेकिन सिंबल को लेकर लड़ाई 1 जनवरी के बाद शुरू हुई।
– पार्टी से बाहर किए गए रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी को लखनऊ में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया, जहां अखिलेश यादव भी मौजूद थे। इस अधिवेशन में 3 प्रस्ताव पास हुए।
– अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच विवाद अक्टूबर से शुरू हो गया था। लेकिन सिंबल को लेकर लड़ाई 1 जनवरी के बाद शुरू हुई।
– पार्टी से बाहर किए गए रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी को लखनऊ में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया, जहां अखिलेश यादव भी मौजूद थे। इस अधिवेशन में 3 प्रस्ताव पास हुए।
पहला प्रस्ताव
-अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया गया। रामगोपाल ने कहा कि अखिलेश को यह अधिकार है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और पार्टी के सभी संगठनों का जरूरत के मुताबिक फिर से गठन करें। इस प्रस्ताव की सूचना चुनाव आयोग को दी जाएगी।
दूसरा प्रस्ताव
-मुलायम को समाजवादी पार्टी का संरक्षक बनाया गया।
तीसरा प्रस्ताव
-शिवपाल यादव को पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट के पद से हटाया गया और अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया। बता दें, शिवपाल और अमर सिंह को लेकर अखिलेश ने कई बार विरोध दर्ज कराया था। इस अधिवेशन के बाद दोनों गुट खुलकर सामने आ गए।
पहले मुलायम, फिर रामगोपाल ईसी पहुंचे थे
– रामगोपाल के अधिवेशन के बाद 2 जनवरी को मुलायम सिंह, शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा के साथ दिल्ली में पार्टी सिंबल पर दावेदारी को लेकर इलेक्शन कमीशन (ईसी) पहुंच गए और साइकिल पर अपना हक जताया।
– इसके बाद अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव 3 जनवरी को इलेक्शन कमीशन पहुंचे और उन्होंने साइकिल पर अपना दावा ठोका।
– रामगोपाल के अधिवेशन के बाद 2 जनवरी को मुलायम सिंह, शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा के साथ दिल्ली में पार्टी सिंबल पर दावेदारी को लेकर इलेक्शन कमीशन (ईसी) पहुंच गए और साइकिल पर अपना हक जताया।
– इसके बाद अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव 3 जनवरी को इलेक्शन कमीशन पहुंचे और उन्होंने साइकिल पर अपना दावा ठोका।