पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित जमीन के लिए भारतीय सेना ने लाखों का किराया भरा था. इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार वर्ष 2000 में उपसंभागीय रक्षा संपदा अधिकारी और नौशेरा के पटवारी ने कई निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर कथित रूप से साजिश रची थी.
सीबीआई ने आरोप लगाया, ‘‘संबंधित जमीन के साल 1969-70 जमाबंदी रजिस्टर और खसरा नंबर के मुताबिक यह जमीन पाकिस्तान (पीओके) के कब्जे में है. बावजूद इसके रक्षा संपदा विभाग उसके कथित मालिक को किराया दे रहा था.’’
जांच में यह सामने आया कि उपसंभागीय रक्षा संपदा अधिकारी आर एच चंदरवंशी, नौशेरा के पटवारी दर्शन कुमार और राजेश कुमार समेत कई निजी व्यक्ति इस साजिश में शामिल हैं. इन्होंने मिलकर पीओके की जमीन को कथित रूप से सेना को किराए पर दी गई जमीन के रूप में दर्शाया.
सैन्य अधिकारी, संपदा अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों के बोर्ड को जमीन के संबंध में जाली कागजात सौंपे गए थे. इस वजह से बोर्ड पीओके में स्थित 122 करनाल जमीन के लिए 4.99 लाख रुपये किराया देता रहा. इससे सरकारी खजाने को छह लाख रुपये का नुकसान हुआ.
प्राथमिकी में ये भी आरोप लगाए गए हैं कि साजिश में बोर्ड के अधिकारी भी शामिल थे. जांच में “यह पता चला कि सेना को नागरिकों से किराए पर जमीन की जरूरत थी. सेना के अधिकारी, रक्षा संपदा और राजस्व विभाग के अधिकारियों वाले बोर्ड ने जमीन का भौतिक सत्यापन कर किराए को मंजूरी दी थी.”
आरोपों के मुताबिक, “साजिश का हिस्सा बनते हुए बोर्ड अधिकारियों ने गलत तरीके से सत्यापन कर यह दर्शाया कि जमीन सेना ने ली है, जबकि असल में भूमि पीओके में स्थित थी.”