चेन्नई। शशिकला नटराजन ने बुधवार शाम बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट (जेल) में सरेंडर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बेहिसाब प्रॉपर्टी के केस में उन्हें 4 साल की जेल की सजा सुनाई है। बेंगलुरु के लिए निकलने के पहले शशिकला जयललिता की समाधि पर भी गईं।
वहां कुछ देर रात हाथ जोड़कर प्रार्थना कर
ती रहीं। झुककर 3 बार उन्हें नमन किया। फिर, मन ही मन कुछ प्रार्थना करती रहीं। इसके बाद 3 बार जोर से समाधि पर थपकी दीं।
बता दें कि बेंगलुरु पुलिस की रिक्वेस्ट पर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने कोर्ट को बेंगलुरु की पारापाना अग्रहारा जेल में शिफ्ट करने की परमिशन दी थी। शशिकला ने वहीं सरेंडर किया। पुलिस ने सिक्युरिटी का हवाला देकर यह अपील की थी। क्या मतलब है थपकी का…?
सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को सरेंडर करने के लिए मोहलत देने से मना कर दिया था। उन्होंने हेल्थ बैकग्राउंड पर सरेंडर करने के लिए 2 हफ्ते का वक्त मांगा था।
इस बीच, पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि शशिकला ने समाधि पर थपकी देकर शपथ ली कि मैं जल्दी ही लौटकर आपके सपने को पूरा करूंगी। जो लोग पार्टी के खिलाफ साजिश कर रहे हैं उनसे निपटा जाएगा।
शशिकला समाधि पर करीब 10 मिनट रहीं।इससे पहले शशिकला ने लंबे समय से पार्टी से बाहर चल रहे अपने भतीजे टीटीवी दिनाकरण को AIADMK में वापस ले लिया।दिनाकरण को डिप्टी जनरल सेक्रटरी बना दिया है। बता दें कि दिनाकरण को 2011 में जयललिता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
विधायकों का मुझे अब भी सपोर्ट-
इससे पहले वे विधायकों के साथ बातचीत में रो पड़ीं। उन्होंने कहा, “कोई ताकत मुझे पार्टी से अलग नहीं कर सकती। मैं हमेशा इसके लिए काम करती रहूंगी।” मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बेहिसाब प्रॉपर्टी केस में उन्हें दोषी करार दिया था।
बताया जाता है कि रिजॉर्ट में शशिकला के साथ करीब 100 विधायक थे।उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद इतने एमएलए ने मेरा सपोर्ट किया।”
बता दें कि बेहिसाब प्रॉपर्टी के केस में 21 साल बाद तय हुआ कि जया-शशिकला की आय से ज्यादा बेहिसाब प्रॉपर्टी 8% नहीं, 541% थी। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था। इसके मुताबिक, शशिकला को 4 साल जेल में गुजारने होंगे। सजा के 6 साल बाद तक वे चुनाव नहीं लड़ सकेंगी। 10 साल तक उनके पास कोई राजनीतिक पद भी नहीं रहेगा।
पहले कोर्ट ने चिनम्मा को रोका
सीएम बनना चाहती थीं शशिकला
पन्नीरसेल्वम उन्हें रोकना चाहते थे। विधायक बंटे हुए थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता है…। शशिकला को 4 साल की जेल सुनाई जाती है। 4 साल की जेल यानी 6 साल के लिए चुनाव नहीं लड़ सकतीं और 10 साल तक मुख्यमंत्री नहीं बन सकतीं। चिनम्मा खेमा निराश हुआ और पन्नीरसेल्वम खेमे खुशी की लहर दौड़ गई।
फिर चिनम्मा ने पन्नीर को रोका
पन्नीर की राह का सबसे बड़ा कांटा कोर्ट ने हटा दिया था। उनका सीएम बनना तय लगने लगा। तभी शशिकला एक्टिव हुईं। तुरंत पन्नीर और उनके समर्थकों को पार्टी से बाहर निकाल दिया। इसके बाद अपनी अम्मा (जया) की तर्ज पर पलानीस्वामी को नेता घोषित कर दिया। वैसे ही जैसे जेल जाते समय अम्मा ने पन्नीर को किया था।
क्या पन्नीर, पलानी को रोकेंगे?
खेल अभी खत्म नहीं हुआ है। शशिकला के जेल जाने के बाद पन्नीरसेल्वम अब पलानीसामी की मुश्किलें बढ़ाएंगे। पार्टी के ज्यादातर विधायक पन्नीरसेल्वम के पक्ष में आ सकते हैं। पार्टी टूट भी सकती है। आने वाले 10 दिन बता देंगे कि तमिलनाडु की राजनीति की दिशा और दशा क्या होगी। इसी बीच, जया की भतीजी दीपा जयकुमार खुलकर पन्नीरसेल्वम के सपोर्ट में आ गई हैं।
एक बार फिर टूट की कगार पर AIADMK
एआईएडीएमके की सीनियर लीडर्स का मानना है कि पार्टी एक बार फिर बुरे दौर से गुजर रही है। एक बार फिर से टूट हो सकती है। 1972 में एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) ने एआईएडीएमके का गठन किया था।1987 में पहली बार पार्टी में दो धड़ों में बंट गई। 1989 में चुनाव में हार मिली।1991 में जयललिता ने चुनाव में जीत हासिल कर खुद को राजनीति में स्थापित कर लिया।
एमजीआर की बायोग्राफी लिखने वाले आर कन्नन के मुताबिक, ‘पन्नीरसेल्वम पार्टी कैडर को रिप्रेजेंट करते हैं। उनमें शशिकला को लेकर एक नाराजगी और भ्रम की स्थिति है। इसका एक कारण ये भी है कि शशिकला के पास सरकार चलाने का एक्सपीरियंस भी नहीं है।”ये भी साफ नहीं है कि जयललिता की विरासत किसके हाथ में रहेगी। 1989 की तरह इसका असर वोटर पर पड़ सकता है।’
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