नई दिल्ली, । चुनाव के दौरान राजनेताओं की तरफ से भारी भरकम चुनावी वायदे करना कोई नई बात नहीं है। लेकिन, वह सारे वादे चुनाव जीतने के बाद भुला दिए जाते हैं। पर, अब ऐसा नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जे.एस. खेहर ने कहा कि अगर कोई नेता चुनाव के दौरान भारी भरकम लोगों से वादे करता है और उसके बाद उसे पूरा नहीं करता है तो इसके लिए उस पार्टी को जिम्मेवार ठहराया जाए।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने ‘इकोनॉमिक रिफॉर्म्स विद रेफरेंस टू इलैक्टोरल इश्यूज’ शीर्षक के साथ आयोजित एक सेमिनार में कहा, “आजकल चुनावी घोषणापत्र महज एक कागज का टुकड़ा बनकर रह जाता है। लेकिन, उसके लिए अब राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया जाए।”
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राजनीतिक दलों की तरफ से चुनाव के दौरान किए गए वायदों पूरे ना होने के लिए कई तरह की दलीलें दी जाती हैं जैसे- सदस्यों के बीच उस संबंधित मुद्दे पर आम सहमति का ना बन पाना।
उन्होंने कहा कि लोगों की याददाश्त कमजोर होने के चलते चुनावी घोषणापत्र महज एक काजग का टुकड़ा बनकर रह जाता है लेकिन अब राजनीतिक दलों को उसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक भारतीय चुनाव आयोग की तरफ से मुफ्त उपहारों जैसी चीजों को लेकर दिशा निर्देश तैयार किया गया है। इसके साथ ही, चुनाव आयोग की तरफ से आचार संहिता के उल्लंघन पर राजनीतिक दलों के खिलाफ भी कार्रवाई होती रही है।
जबकि, न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने भी चुनाव सुधार पर जोर देते हुए कहा, “चुनाव में धनबल की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एक उम्मीदवार को यह बात दिमाग में रखनी चाहिए कि चुनाव में लड़ना किसी तरह का कोई निवेश नहीं है।”