लखनऊ। सूबे की नई सरकार में अब शस्त्र लाइसेंस धारक कार्रवाई के रडार पर आ गए हैं। इनको दुकान से खरीदे गए एक-एक कारतूस का हिसाब देना होगा। इसके बाद ही लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा। कब, कहां, क्यों और कितने कारतूस इस्तेमाल किए गए इनका हिसाब भी खोखा समेत देना पड़ेगा।
मानक से ज्यादा कारतूस निकले तो भी खैर नहीं होगी। जानमाल की सुरक्षा में इस्तेमाल कारतूसों पर एफआइआर दिखानी होगी। इसके साथ हर्ष फायरिंग, शिकार, जश्न आदि में इस्तेमाल हुए कारतूसों पर कड़ी कार्रवाई होगी। प्रशासन ने कार्रवाई का खाका खींच लिया है।
अवैध रूप से कारतूसों की खरीद-फरोख्त करने वाले शस्त्र दुकानदारों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। लाइसेंस धारकों के नाम पर कारतूस खरीदकर दूसरों को बेचने वाले दुकानदारों की पड़ताल कराई जाएगी। दोषी मिलने पर इनके भी लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे।
शासन को अभी तक के पड़ताल में पता चला है कि सुरक्षा के बजाय वारदातों में कारतूस का इस्तेमाल अधिक किया गया है। इसीलिए शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने ये व्यवस्था शुरू करने की तैयारी कर ली है। जल्द ही इसे राजधानी में लागू कर दिया जाएगा।
कहां से आते अवैध असलहों के कारतूस
अवैध असलहों में इस्तेमाल हो रहे कारतूस कहां से आ रहे हैं। इस सवाल का हल तलाशने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। दबंगों, माफिया, बदमाश, डकैतों को कारतूस कौन मुहैया कराता है। वारदात, दंगा, मुठभेड़ आदि में इस्तेमाल होने वाले कारतूस सरकारी होते हैं या चोरी के।
अवैध असलहे तो चोरी-छिपे बना लिए जाते हैं लेकिन कारतूस नहीं बनाए जा सकते हैं। अवैध असलहों में सरकारी कारतूस का इस्तेमाल किया जाता है। इस्तेमाल के बाद खोखे तक नष्ट कर दिए जाते हैं। अब तक इन सवालों से बचकर नियम कानून को दर-किनार करने के बाद लाइसेंस नवीनीकरण होते आए हैं लेकिन अब यह नहीं चलेगा।
दोबारा नहीं मिलेंगे कारतूस
कारतूस उपयोग करने का उद्देश्य सही नहीं हुआ तो दोबारा कारतूस नहीं मिलेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के कारतूसों की बिक्री और उपयोग की नई प्रक्रिया को सभी जनपदों में लागू कर दिया गया है। इसके लिए मार्च में ही शासन की ओर से ऑर्डर जारी कर दिए गए थे।
कारतूस बिक्री का डाटा नई प्रक्रिया से
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने कारतूसों की बिक्री और उपयोग का विवरण देने के लिए नई प्रक्रिया निर्धारित की है। इसके मुताबिक शस्त्र विक्रेता कारतूस की बिक्री करते समय एक निश्चित प्रारूप पर कारतूस के उपयोग की सूचना लेगा।
प्रारूप की फोटो कॉपी शस्त्र विक्रेता को अपने पास रखना होगा, जबकि मूल प्रति जिलाधिकारी को भेजनी होगी। अगर शस्त्र धारक का लाइसेंस दूसरे जिले या प्रदेश का है तो डीएम का यह दायित्व होगा कि वह शस्त्र विक्रेता से प्राप्त प्रारूप को लाइसेंसी के जनपद के डीएम को उपलब्ध कराएं।
कारतूसों के विक्रय की सूचना डीएम को त्रैमासिक रूप से शासन को उपलब्ध करानी होगी। बताया कि जिले में नए दिशा निर्देश के मुताबिक कारतूस की बिक्री शुरू करा दी गई है।
ये है जिले की स्थिति शस्त्र लाइसेंस धारक 56000 विक्रेता स्टोर 74 ये हैं लाइसेंस धारक के नियम एक साल में रख सकते 25 कारतूस एक बार में खरीद सकते हैं दस कारतूस इस्तेमाल कारतूसों का रखना होता ब्योरा।
जानमाल की सुरक्षा में इस्तेमाल की छूट लेकिन दर्ज करानी होगी एफआईआर।नवीनीकरण के समय एफआइआर संग खोखे अनिवार्य रूप से देने होंगे। हर्ष फायरिंग जश्न व शिकार आदि पर पूरी तरह से प्रतिबंध।