यही वजह है कि ये दोनों दल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। यदि उन्हें कांग्रेस-जदएस को कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वे अपने विधायकों को कर्नाटक से बाहर भेज सकते हैं जिससे भाजपा उनसे संपर्क न कर पाए। उनके संभावित गंतव्यों में वाम दलों की सरकार वाला केरल या कांग्रेस शासित पंजाब शामिल हैं।
इस बीच विपक्षी दलों के उनके मित्रों ने कांग्रेस-जद एस के पक्ष में लॉबीइंग शुरू कर दी है। अखिल भारतीय ऐंग्लो इंडियन एसोसिएशन ने कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई बाला को एक चिट्ठी लिखकर येदियुरप्पा को बहुमत साबित होने तक किसी ऐंग्लो इंडियन को विधानसभा में मनोनीत न किया जाए।
संविधान के अनुच्छेद 333 के मुताबिक कर्नाटक के राज्यपाल एंग्लो इंडियन समुदाय के एक सदस्य को वहां की विधानसभा में नामित कर सकते हैं। लेकिन एसोसिएशन के अध्यक्ष बैरी ओ ब्रायन ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि अगर भाजपा किसी ऐंग्लो इंडियन को सदन में नामित करती है तो वे इसे न मानें क्योंकि बहुमत सिद्ध करने से पहले उसे नामित करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इससे सदन का गणित बिगड़ जाएगा।
इसी तरह कांग्रेस ने गोवा, मणिपुर और मेघालय में कर्नाटक के फार्मूले को लागू कर सबसे बड़े दल होने के नाते सरकार बनाने के निमंत्रण की मांग की है। उसका दावा है कि येदियुरप्पा की तरह पंद्रह दिन के भीतर वह भी अपना बहुमत सिद्ध कर देगी।
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