आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर सुबह कार के डिवाइडर से टकराने के कारण तीन लोगों की मौत हो गई। इस हादसे को देखने के लिए रुकी एक कार को पीछे से आ रही बस ने टक्कर मार दी, जिससे छह लोग घायल हो गए हैं।
उन्नाव में औरास थाना क्षेत्र में सई नदी ब्रिज पर जाइलो कार डिवाइडर से टकराई जिसमें मां बेटे सहित चालक की मौत हो गई व तीन अन्य लोग घायल हो गए। पीछे से आ रही वैगनआर कार सवार रफ्तार कम कर हादसा देखने लगे तभी पीछे से आई बस ने टक्कर मार दी जिसमें कार सवार छह लोग घायल हो गए। सभी घायलों को गंभीर हालत में लखनऊ के ट्रामा सेंटर रेफर किया गया।
मैनपुरी की पत्थर मंडी निवासी निरुपमा (45) पत्नी गंगाराम शर्मा बेटा अनमोल (11) बेटी खुशी (15) भतीजी लिटिल उर्फ शिवाली (12) पुत्री संजय चौबे व लखनऊ के अलीगंज पुराना हनुमान मंदिर के महंत गोपालदास जी गुप्ता (55) चालक राजेन्द्र यादव उर्फ अनिल (35) पुत्र रामखेलावन निवासी हसरा थाना जांगीराबाद के बाराबंकी कार से बाला जी दर्शन करने गये थे। जयपुर से शनि देव की मूर्ति लेकर लखनऊ लौट रहे थे। तभी सई नदी ब्रिज के पास कार डिवाइडर से टकरा गई। जिसमें निरूपमा, उनका पुत्र अनमोल तथा चालक राजेन्द्र की मौके पर ही मौत हो। वहीं महंत गोपालदास, खुशी और लिटिल गंभीर रूप से घायल हैं। घायलों को ट्रामा सेंटर लखनऊ रेफर किया गया है।
हादसा देखकर पीछे से आ रही वैगन आर पर सवार लोगों ने रफ्तार कम की वैसे ही पीछे से वोलवो बस ने टक्कर मार दी। जिससे कार सवार प्रतापगढ़ निवासी अहमद अली (25) पुत्र नादिर अली, अफताब अली पुत्र आनिद अली, जरीना पत्नी जाकिर अली (30), जैद (12), सैफ (10) पुत्र जाकिर अली और चालक जमील अहमद घायल हो गये। सभी को पुलिस ने पीएचसी पहुंचाया जहां से उनको गंभीर हालत में लखनऊ के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया।
दो घंटे तक नही आई क्रेन, तड़प- तड़प कर दम तोड़ गया चालक
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे हादसे ने इस सड़क पर रेस्क्यू ऑपरेशन के इंतजाम की पोल खोलकर रख दी। जाइलो के पुल पर डिवाइडर से टकराने से अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गए थे। उसमें फंसा चालक गजेंद्र उर्फ अनिल यादव दो घंटे तक जान बचाने के लिए गुहार लगाता रहा। घटनास्थल से लगभग 30 किलोमीटर दूर टोल से क्रेन दो घंटे तक नही आई। गाड़ी में फंसे चालक ने लोगों की आंखों के सामने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
जाइलो गाड़ी में कई कुंटल वजन वाली शनिदेव की शिला रखी थी। डिवाइडर से जबरदस्त टक्कर से पत्थर उछलकर खिसक गया था। उसमें दबकर मां-बेटे की मौत हो गई। चालक गजेंद्र, दोनों बच्ची और बाबा सीट में फंस गए थे। लोगों ने तीनों को आधा घंटे की कोशिश के बाद निकाल लिया। चालक का पैर सीट के नीचे फंस गया था। स्टेयरिंग से उसकी आंते बाहर निकल आयी थीं। इसके चलते उसे गाड़ी काटकर ही बाहर निकाला जा सकता था। वह दर्द से बुरी तरह तड़प रहा था और हाथ जोड़कर लोगों से जान बचाने की गुहार लगा रहा था। मौके पर यूपी-100 की गाड़ी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने रेस्क्यू के लिए एक्सप्रेसवे ऑथॉरिटी को फोन करके तत्काल क्रेन और कटर भेजने की कहा। वहां से बताया गया कि क्रेन को भेजा जा रहा है। इधर चालक की दर्दनाक चीखें धीरे धीरे मंद होती जा रही थी। एम्बुलेंस का स्टाफ और मौके पर जुटे लोग चालक को ढांढस बंधाते रहे। दो घंटे तक एम्बुलेंस नही आई। जिंदगी बचाने की गुहार लगाता चालक दम तोड़ गया। एक्सप्रेस-वे ऑथॉरिटी की बदइंतजामी ने चालक की जान ले ली। इससे लोगों में आक्रोश दिखाई दिया।
मुझे बचा लो, मेरे बच्चे अनाथ हो जाएंगे
दर्द से तड़पते चालक गजेंद्र की लोगो से एक ही गुहार थी कि साहब मुझे बचा लो। मेरे बच्चे बहुत छोटे हैं, वह अनाथ हो जाएंगे। मेरी पत्नी को विधवा होने से बचा लो। बच्चों के सिर से पिता का साया उठने से बचा लो। रेस्क्यू के इंतज़ार में वह बार-बार लोगो से पूछता रहा कि क्रेन आ गयी कि नहीं।
अंकल हमारे भाई और मां को बचा लो
रेस्क्यू करके निकाली गई खुशी और लिटिल लोगों से अपने छोटे भाई और मां को बचाने की गुहार लगा रही थीं। दोनो के पैर में कई फ्रेक्चर थे लेकिन वह अपना दर्द भूलकर मां और भाई को बचाने की गुहार लगा रही थीं। मां और भाई के बिना एम्बुलेंस में अस्पताल जाने को तैयार नहीं थीं। उन्हें किसी तरह समझाकर इलाज के लिए अस्पताल भेजा।