शाजापुर के इंश्योरेंस एजेंट यशपाल शर्मा के योग के साथ अनुभव आश्चर्यजनक हैं। 45 साल के शर्मा 2001 में हृदय विकार के शिकार हुए और दिल्ली में ऑपरेशन करवाना पड़ा। 2004 में उनके शरीर का बायां हिस्सा सुन्ना पड़ गया। देखते-देखते यह पैरालिसिस में बदल गया।
उठना-बैठना भी मुश्किल हो गया। काम भी छूट गया। तीन साल में इलाज पर करीब 10 लाख रुपए खर्च हो गए, लेकिन फर्क नहीं पड़ा। बीमारी के दौरान टीवी पर योग के महत्व बारे में पता चला।
बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने योग का सहारा लेने का मन बना लिया। योग के बारे में पढ़-समझ कर योग शुरू कर दिया। इससे कुछ समय में ही उन्हें लाभ दिखाई देने लगा। सालभर में पूरी तरह स्वस्थ हो गए। योग में डिप्लोमा करने के बाद अब वे लोगों को योग सिखाने का काम कर रहे हैं