दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकार विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ थोड़ी देर बाद अपना फैसला सुनाएगी. इस फैसले से तय हो जाएगा कि दिल्ली का कामकाज चलाने में राज्य सरकार और उपराज्यपाल की क्या भूमिका होगी. इस मामले में संविधान पीठ ने पिछले साल छह दिसंबर को सुनवाई पूरी की थी. इससे पहले चार अगस्त 2016 को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली एक केन्द्र शासित क्षेत्र है. यहां केंद्र के प्रतिनिधि उपराज्यपाल की मंजूरी से ही फैसले लिए जा सकते हैं. पल-पल की अपडेट के लिए बने रहिए एबीपी न्यूज़ के साथ.10.41 AM: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा है कि लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं. जनता के प्रति जवाबदेही सरकार होनी चाहिए.संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता.
10.38 AM: जज ने यह भी कहा है कि शक्तियों में समन्वय होना चाहिए. शक्तियां एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती.
10.35 AM: संविधान पीठ के जज
10.32 AM: कोर्टरूम में संविधान पीठ के पांचों जज पहुंच चुके हैं. संविधान पीठ ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है.
10.27 AM: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुंचे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया.
10.10 AM: दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही एलजी को दिल्ली का बॉस बता चुका है इसी फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
10.00 AM: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ थोड़ी देर बाद अपना फैसला सुनाएगी
दिल्ली को लेकर संविधान में क्या लिखा है?
संविधान के आर्टिकल 239A के तहत संविधान में दिल्ली में विधानसभा, मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की व्यवस्था की गई. इसमें ही एक हिस्सा है आर्टिकल 239AA (4) जिसमे लिखा है कि दिल्ली में उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करेंगे. लेकिन पूरे कानून में कहीं पर भी ये नहीं लिखा कि चुने हुए मुख्यमंत्री की सलाह मानना उपराज्यपाल के लिए बाध्य है या नही. केजरीवाल चाहते हैं कि ये सलाह बाध्यकारी हो
दिल्ली सरकार ने दी थी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. लगभग 15 दिन चली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहली नज़र में उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रमुख नज़र आते हैं, लेकिन रोज़ाना के कामकाज में उनकी दखलंदाज़ी से मुश्किल आ सकती है. दिल्ली के लोगों के हित मे राज्य सरकार और एलजी को मिल कर काम करना चाहिए.
अनुच्छेद 239 AA में एलजी का दर्जा राज्य सरकार से ऊपर- केंद्र
दिल्ली सरकार की दलील थी कि दिल्ली का दर्जा दूसरे केंद्रशासित क्षेत्रों से अलग है. संविधान के अनुच्छेद 239 AA के तहत दिल्ली में विधानसभा का प्रावधान किया है. यहां निर्वाचित प्रतिनिधियों के ज़रिए एक सरकार का गठन होता है. उसे फैसले लेने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए. जवाब में केंद्र सरकार का कहना था कि जिस अनुच्छेद 239 AA का हवाला दिल्ली सरकार दे रही है, उसमें भी एलजी का दर्जा राज्य सरकार से ऊपर माना गया है.
एलजी के पास लंबित होती हैं ज़रूरी फाइलें- दिल्ली सरकार
मंत्रिमंडल और उपराज्यपाल में किसी विषय पर मतभेद होने पर उसे राष्ट्रपति के पास भेजने की बात कही गई है. लेकिन ये साफ लिखा है कि राष्ट्रपति का निर्णय आने तक उपराज्यपाल का फैसला ही माना जाएगा. दिल्ली सरकार ने सुनवाई के दौरान एलजी के पास ज़रूरी फाइलें लंबित होने का भी हवाला दिया.