राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रो. रामशंकर कठेरिया के अलीगढ़ पहुंचने के साथ ही राज्य एससी-एसटी आयोग ने भी आरक्षण के मुद्दे पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को घेरने की शुरुआत कर दी है।
बुधवार को उप्र अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने एएमयू प्रशासन को नोटिस देकर एससी-एसटी को आरक्षण न दिए जाने के बाबत जवाब तलब किया है। आयोग ने एएमयू को जवाब दाखिल करने लिए आठ अगस्त तक का समय दिया है। नोटिस का जवाब न दिए जाने पर एएमयू प्रशासन को समन जारी कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
कठेरिया ने मंगलवार को अलीगढ़ पहुंचकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही एएमयू प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और दलितों को आरक्षण न दिए जाने पर ग्रांट रुकवाने की चेतावनी दी थी। इस कड़ी को बुधवार को राज्य एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने आगे बढ़ाया।
उनकी ओर से एएमयू के रजिस्ट्रार को जारी नोटिस में कहा गया है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों व विमुक्त जातियों संबंधी संयुक्त समिति विधानसभा, उप्र की ओर से 29 जून को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि एएमयू अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है। इस पर वही नियम व कानून लागू होते हैं, जो प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों पर लागू हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी 23 मार्च, 2016 को आदेशित किया है कि अनुसूचित जाति के लोगों को 15 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति के लोगों को 7.5 फीसद आरक्षण नियुक्ति व प्रवेश आदि में सभी विश्वविद्यालयों में देय है। फिर भी एएमयू में अब तक एससी-एसटी को आरक्षण नहीं दिया गया, जो कानून का खुला उल्लंघन है।
जगत गुरु कबीर फाउंडेशन, कोली समाज, बुद्ध एजूकेशनल सोसायटी, डॉ. भीमराव अंबेडकर महासभा सहित अन्य संगठनों ने आयोग से एएमयू में एससी-एसटी के लोगों को संविधान निहित आरक्षण व्यवस्था लागू कराए जाने की मांग की है।
नोटिस का जवाब देंगे-
एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी उमर सलीम पीरजादा कहना है कि आयोग की नोटिस अभी नहीं मिली है। मिलने पर उसका जवाब दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एएमयू एक्ट 1981 के तहत आरक्षण की व्यवस्था लागू है। उसने ही विवि को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया है।
अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर हाई कोर्ट ने 2006 में जो फैसला दिया था, उसकी अपील अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वहां से फैसला आने के पहले आरक्षण नीति में बदलाव का सवाल ही नहीं है। वैसे भी, एएमयू ने धर्म-जाति के आधार पर किसी को आरक्षण नहीं दिया। यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को ही विभिन्ना कोर्स में 50 फीसद आरक्षण मिलता है।