Sunday , January 5 2025
मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने गुरुवार को चार मामलों में सीबीआइ के विशेष जांच दल (एसआइटी) को 27 जुलाई तक उचित कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अदालत ने आदेश के बावजूद पर्याप्त संख्या में रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर उसकी आलोचना भी की। जस्टिस मदन बी. लोकुर और यूयू ललित की खंडपीठ ने यह आदेश विशेष जांच दल (एसआइटी) द्वारा यह बताने के बाद दिया कि उसने चार मामलों में जांच का काम पूरा कर लिया है और अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। खंडपीठ ने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ वह बहुत व्यापक है और इसे सबसे ज्यादा महत्व देना होगा, क्योंकि लोगों की जान जा रही है। हम यहां सिर्फ मानवाधिकार उल्लंघन की बात नहीं कर रहे। किसी व्यक्ति की मौत हत्या हो भी सकती है और नहीं भी। यह मुद्दा मानवाधिकार उल्लंघन से भी बड़ा है। गौरतलब है कि सेना, असम राइफल्स और पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम देने का आरोप है। घटनाओं और पीड़ितों की संख्या स्पष्ट करें एएसजी खंडपीठ ने कहा कि पिछले साल 14 जुलाई को उसके आदेश में घटनाओं और पीड़ितों की संख्या ज्यादा थी। जबकि इस साल मार्च में दिए गए आदेश में इनकी संख्या कम हो गई। इस संबंध में कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) को लिखित जवाब देने को कहा है।

मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ों पर सीबीआई पेश करें अंतिम रिपोर्ट : सुप्रीम कोर्ट

मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।मणिपुर में फर्जी मुठभेड़ों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।  कोर्ट ने गुरुवार को चार मामलों में सीबीआइ के विशेष जांच दल (एसआइटी) को 27 जुलाई तक उचित कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश करने को कहा है।  अदालत ने आदेश के बावजूद पर्याप्त संख्या में रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर उसकी आलोचना भी की।  जस्टिस मदन बी. लोकुर और यूयू ललित की खंडपीठ ने यह आदेश विशेष जांच दल (एसआइटी) द्वारा यह बताने के बाद दिया कि उसने चार मामलों में जांच का काम पूरा कर लिया है और अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का काम लगभग पूरा हो चुका है।  खंडपीठ ने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ वह बहुत व्यापक है और इसे सबसे ज्यादा महत्व देना होगा, क्योंकि लोगों की जान जा रही है। हम यहां सिर्फ मानवाधिकार उल्लंघन की बात नहीं कर रहे।  किसी व्यक्ति की मौत हत्या हो भी सकती है और नहीं भी। यह मुद्दा मानवाधिकार उल्लंघन से भी बड़ा है। गौरतलब है कि सेना, असम राइफल्स और पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम देने का आरोप है।  घटनाओं और पीड़ितों की संख्या स्पष्ट करें एएसजी  खंडपीठ ने कहा कि पिछले साल 14 जुलाई को उसके आदेश में घटनाओं और पीड़ितों की संख्या ज्यादा थी। जबकि इस साल मार्च में दिए गए आदेश में इनकी संख्या कम हो गई। इस संबंध में कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) को लिखित जवाब देने को कहा है।

कोर्ट ने गुरुवार को चार मामलों में सीबीआइ के विशेष जांच दल (एसआइटी) को 27 जुलाई तक उचित कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

अदालत ने आदेश के बावजूद पर्याप्त संख्या में रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर उसकी आलोचना भी की।

जस्टिस मदन बी. लोकुर और यूयू ललित की खंडपीठ ने यह आदेश विशेष जांच दल (एसआइटी) द्वारा यह बताने के बाद दिया कि उसने चार मामलों में जांच का काम पूरा कर लिया है और अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का काम लगभग पूरा हो चुका है।

खंडपीठ ने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ वह बहुत व्यापक है और इसे सबसे ज्यादा महत्व देना होगा, क्योंकि लोगों की जान जा रही है। हम यहां सिर्फ मानवाधिकार उल्लंघन की बात नहीं कर रहे।

किसी व्यक्ति की मौत हत्या हो भी सकती है और नहीं भी। यह मुद्दा मानवाधिकार उल्लंघन से भी बड़ा है। गौरतलब है कि सेना, असम राइफल्स और पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम देने का आरोप है।

घटनाओं और पीड़ितों की संख्या स्पष्ट करें एएसजी

खंडपीठ ने कहा कि पिछले साल 14 जुलाई को उसके आदेश में घटनाओं और पीड़ितों की संख्या ज्यादा थी। जबकि इस साल मार्च में दिए गए आदेश में इनकी संख्या कम हो गई। इस संबंध में कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) को लिखित जवाब देने को कहा है।

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