चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान सोने का आयात 25 फीसद गिरकर 8.43 बिलियन डॉलर के स्तर पर आ गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों पर सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष (2017-18) की समान अवधि में सोने का आयात 11.26 बिलियन डॉलर का रहा था। सोने के आयात में गिरावट जनवरी महीने से देखी जा रही है। सोने के आयात का कम होना चालू खाता घाटा (सीएडी) को नियंत्रित रखने में मददगार होता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार के देश के भीतर आने (इनफ्लो) और बाहर जाने (आउटफ्लो) के बीच का अंतर होता है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान यह बढ़कर 48.7 बिलियन डॉलर या जीडीपी के 1.9 फीसद के स्तर तक पहुंच गया था। यह इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के 14.4 बिलियन डॉलर या जीडीपी के 0.6 फीसद से ज्यादा है।
तेल की बढ़ती कीमतें, कमजोर होता रुपया और पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट में आ रही गिरावट प्रमुख चिंताएं हैं जो कि चालू वित्त वर्ष में चालू खाता घाटा को बढ़ा सकती हैं। क्रूड की कीमतें और बढ़ता आयात ट्रेड डेफिसिट पर असर डालता है जो कि इस अप्रैल जून तिमाही में बढ़कर 44.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 40 बिलियन डॉलर रहा था। गौरतलब है कि भारत सोने का एक बड़ा आयातक देश है और यहां सोने की सबसे ज्यादा डिमांड ज्वैलरी सेक्टर में होती है।