दो दिन पहले 50 हजार के इनामी बदमाश के तथाकथित हमले की वारदात फर्जी निकली है. फोरेंसिक टीम की मदद से हुए खुलासे में पुलिस ने पाया कि जेल में बंद ब्लाकप्रमुख को रिहा करवाने के मकसद से कथित घायल जॉनी ने इस वारदात को अंजाम दिया और वारदात की वास्तविकता दर्शाने के लिए अपने ही वफादार नौकर को मार डाला. पुलिस ने जॉनी, उसके भाई जोगेन्द्र और उनकी पत्नियों समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.
फोरेंसिक टीम ने परखी हत्या-हमले की असली कहानी
मेरठ के अलीपुर मोरना गांव में हुई इस सनसनीखेज वारदात में पुलिस की फोरेंसिक टीम ने गहनता से जांच की थी. जांच में जॉनी को लगी गोलियों के एक्जिट घाव फोरेंसिक साइंस के मुताबिक सही जगहों पर नहीं थे. वारदात में पशुओं को भी गोली लगी थी जो उनके शरीर में ही फंसी मिली.
जांच में पाया गया कि लोहे के छर्रों पर देशी बारूद का इस्तैमाल किया गया है जिनकी इन्टेन्सिटी आम कारतूसों के मुकाबले बेहद कम थी. तफ्तीश कर रही पुलिस टीम को जब फोरेंसिक टीम ने रिपोर्ट सौंपी तो पुलिस ने घर के लोगों से पूछताछ की.
क्राइमब्रांच की इन्ट्रोगेशन में दो महिलाओं ने सच्चाई उगली तो एक-एक करके सभी सच बोलने लगे. वारदात की इस झूठी कहानी की साजिश में पड़ोसी भी संलिप्त मिले है.
कथित हमले की साजिश के पीछे…एक तीर और कई शिकार
जोगेन्द्र और जॉनी के मां-बाप की जुलाई 2017 में कुख्यात सोनू ने हत्या कर दी थी. जोगेन्द्र उस मामले में गवाह था और उसे पुलिस सुरक्षा हासिल थी. जॉनी के पक्ष का राजेन्द्र प्रमुख कुख्यात सोनू के भाई अर्जुन की हत्या के आरोप में जेल में बंद था.
इस हमले के जरिये जॉनी एक तीर से कई शिकार करना चाहता था. दरअसल, इस हमले में सोनू के नामजद होते ही उसके सिर पर इनाम एक लाख हो जाता और उसका पुलिस एनकाउंटर में मारा जाना तय था क्योंकि सोनू की तलाश मेरठ क्राइमब्रांच के अलावा यूपी एसटीएफ भी कर रही थी.
जॉनी को उम्मीद थी कि सोनू के ठिकाने लगते ही उसके भाई की हत्या की पैरोकारी खत्म होगी और राजेन्द्र प्रमुख जेल से बाहर आ जायेगा. सोनू के भाई जोगेन्द्र को मिली पुलिस सुरक्षा पहले से और पुख्ता कर दी जाती. इतना ही नही सोनू के मरने के बाद पूरे इलाके के अपराध और अपराधियों पर जॉनी और उसके भाई का कब्जा होता.
जॉनी ने खुद ही बनाये थे अपने शरीर पर गोलियों के निशान
एसएसपी अखिलेश कुमार ने बताया कि पुलिस फोरेन्सिक रिपोर्ट में पाया गया कि बाजारी बारूद की मदद से गर्म नुकीले लोहे के जरिये जॉनी ने खुद के शरीर पर गोलियों के निशान बनाये और फिर छत से कूदकर अपनी टांग भी तोड़ ली. फोरेसिंक की जॉच में एक्सिट और एंट्री घाव के बीच कोई चोट नहीं पायी गयी. पुलिस ने इस मामले में हत्या के लिए इस्तेमाल हथियार समेत सात लोगों की गिरफ्तारी की है.
कैसे हुआ था तथाकथित हमला
18 सितम्बर यानी दो दिन पहले मेरठ के अलीपुर मोरना गांव में आधी रात के बाद एक घर में अचानक हुए हमले में इस घर का वफादार राजा वाल्मीकि मौत के घाट उतार दिया गया और इसी घर का बदमाश बेटा जॉनी हमले में घायल हुआ.
पुलिस को जो कहानी बताई गयी उसके मुताबिक जॉनी के दुश्मन और 50 हजार के कुख्यात इनामी सोनू और उसके गैंग ने घर में घुसकर पुलिस के पहरे में हमला किया था. हमले के मकसद जॉनी को जान से मारना था.
मगर आठ बदमाशों के हमले में जॉनी की जिंदा बच जाना पुलिस के गले नहीं उतर रहा था. एसएसपी ने इस मामले के खुलासे के लिए क्राइमब्रांच और फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीमें मौके पर भेजी थी जिन्होने 48 घंटों के अंदर केस का खुलासा कर दिया.
पुराने अपराधी हैं जोगेन्द्र और जॉनी
दोनों भाई पहले से ही शातिर बदमाश हैं और बेरहम अपराधी भी. जॉनी ने 2009 में अपने कालेज के दिनों में ही मवाना कस्बे में दिनदहाड़े दो युवकों की सरेआम काटकर हत्या की थी. इसके बाद वह कई लूट की वारदातों में भी शामिल रहा.
जोगेन्द्र का नाम कुख्यात सोनू के पिता धर्मपाल के मर्डर केस में आया और उसने लंबे समय तक जेल काटी. अपने मां-बाप की हत्या के मामले में जोगेन्द्र सोनू से समझौते के नाम पर 65 लाख रूपये ले चुका था. मगर केस को खत्म करने के लिए और पैसा मांग रहा था.
जोगेन्द्र और जॉनी ने मिलकर अपने वफादार नौकर को भी इस तथाकथित वारदात में मार डाला. पुलिस रिकॉर्ड में जॉनी के खिलाफ आधा दर्जन से गंभीर मुकदमे दर्ज हैं
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