राजस्थान की राजधानी जयपुर में जीका के लगातार आ रहे मामलों पर सरकार ने कदम उठाते हुए पहले 3 माह की गर्भवतीयों की मुफ्त जांच के निर्देश दे दिए है. जीका पॉजिटिव के अधिकांश केस ठीक होने से भले ही चिकित्सा विभाग ने राहत की सांस ली हो लेकिन अब माइक्रोसेफेलिक का खतरा पैदा ना हो इसके लिए ये कदम उठाये गये है…
इससे निजात पाने के लिए चिकित्सा विभाग ने स्पेशल मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी पहले 3 माह की गर्भवती महिलाओं की नियमित रूप से जांच करेगी. साथ ही गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी भी की जाएगी जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग के विकास के बारे में सही स्थिति पता चल सके. वहीं दूसरी तरफ गुरुवार को जीका के पांच और नए पॉजिटिव केस सामने आ गए.
इनके साथ ही कुल मरीजों की संख्या अब 140 जीका पॉजिटिव हो चुकी है. इनमें से 131 मरीजों को जीका मुक्त बताया जा रहा है. जीका वायरस गर्भवती महिलाओं में ज्यादा घातक होता है इसलिए चिकित्सा विभाग ने प्रथम 3 माह की गर्भवती पर विशेष नजर रखने के लिए गायनिक, शिशु रोग, रेडियोलॉजिस्ट और फिजिशियन सहित पांच सदस्यों की टीम गठित की है जो गर्भवती के लगातार संपर्क में रहकर उनकी जांच करेंगी.
जीका वायरस का सबसे अधिक खतरा गर्भवती महिला के गर्भस्थ शिशु के लिए होता. इस स्थिति में माइक्रोसेफेलिक का खतरा होता है. इससे प्रभावित बच्चे का जन्म और छोटे दिमाग के साथ होता है. साथ ही ग्लेन बेरी का भी खतरा हो जाता है. ये सिंड्रोम शरीर पर हमला कर रोगी को लकवे का भी शिकार बना सकता है.