लखनऊ। उत्तर प्रदेश लेखपाल भर्ती 2022 में दिव्यांग अभ्यर्थियों को फाइनल रिजल्ट से बाहर किए जाने के बाद अभ्यर्थियों में गहरा आक्रोश है। करीब 188 पदों को खाली छोड़कर दस्तावेज सत्यापन करवाए जाने के बावजूद, दिव्यांग श्रेणी के अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया गया। इसके विरोध में दिव्यांग अभ्यर्थी पिछले 36 दिनों से लखनऊ के इको गार्डन में भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
अभ्यर्थियों का आरोप: भेदभावपूर्ण रवैया
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि लेखपाल भर्ती में 309 दिव्यांग पदों में से 188 पदों को बिना किसी कारण खाली छोड़ दिया गया, जबकि इन पदों पर दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया पूरी कराई गई थी। अभ्यर्थियों का कहना है कि मुख्य परीक्षा पास करने और दस्तावेज सत्यापन होने के बावजूद उन्हें अंतिम चयन सूची से बाहर रखा गया, जो पूरी तरह से अनुचित है।
अन्य राज्यों में चयन, फिर यूपी में क्यों नहीं?
दिव्यांग अभ्यर्थियों ने सवाल उठाया कि जब अन्य राज्यों जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में दिव्यांग श्रेणी के अभ्यर्थियों का चयन हो रहा है, तो उत्तर प्रदेश में यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है? अभ्यर्थियों का कहना है कि यूपी सरकार ने संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण के अधिकारों का उल्लंघन किया है।
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संघर्ष और प्रदर्शन की शुरुआत
दिव्यांग अभ्यर्थियों ने पहली बार 7 महीने पहले अपने अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था। कई बार शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के बाद भी कोई सुनवाई न होने पर उन्होंने 36 दिन पहले भूख हड़ताल का सहारा लिया। अभ्यर्थियों का कहना है कि दस्तावेज सत्यापन के दौरान उनसे एक डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर करवाए गए, जिसमें उन्हें चयनित न करने की बात शामिल थी। यह प्रक्रिया उनके अनुसार न केवल अनुचित थी बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन भी था।
पीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद चयन से वंचित
दिव्यांग अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने पीईटी (प्रारंभिक पात्रता परीक्षा) 2021 और मुख्य परीक्षा 2022 में सफलता हासिल की थी, फिर भी उन्हें फाइनल रिजल्ट में जगह नहीं दी गई। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनके साथ किए गए भेदभावपूर्ण व्यवहार को समाप्त कर उन्हें जल्द से जल्द न्याय दिया जाए।
सरकार पर नियमों के उल्लंघन का आरोप
अभ्यर्थियों ने यूपी सरकार पर लेखपाल भर्ती प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में दिव्यांग श्रेणी के अभ्यर्थियों का चयन बिना किसी बाधा के हो रहा है, लेकिन यूपी में उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। अभ्यर्थियों ने सवाल किया कि एक ही राज्य के अंदर दो अलग-अलग नियम कैसे लागू किए जा सकते हैं?
अभ्यर्थियों की मांग
दिव्यांग अभ्यर्थियों ने मांग की है कि सरकार उनके चयन की प्रक्रिया को तुरंत शुरू करे और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे। उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे अपनी भूख हड़ताल जारी रखेंगे।
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