रायबरेली के आरेडिका में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, 356 रोगियों की जांच, जागरूकता पर भी ज़ोर
आरेडिका में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन बुधवार को लालगंज स्थित आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना (आरेडिका) चिकित्सालय में किया गया, जिसमें मेदांता अस्पताल लखनऊ के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सहयोग किया। इस सामूहिक चिकित्सा शिविर में कुल 356 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ। विशेषज्ञ डॉक्टरों में डॉ. अनिल (पल्मोनोलॉजिस्ट), डॉ. हिमांशू (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) और डॉ. विजय मौर्या (अस्थिरोग विशेषज्ञ) प्रमुख रूप से शामिल रहे।
शिविर में न सिर्फ आम बीमारियों की जांच हुई, बल्कि 121 लोगों ने फाइब्रोस्कैन, 44 ने पीएफटी (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) और 75 ने बीएमडी (हड्डियों की मजबूती जांच) जैसी आधुनिक जांच सेवाओं का लाभ भी लिया।
डॉक्टरों को किया गया सम्मानित
इस अवसर पर प्रधान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आभा जैन ने विशेष अतिथि चिकित्सकों को पौधा भेंट कर सम्मानित किया, जो कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच सामंजस्य का प्रतीक रहा। यह पहल न केवल एक चिकित्सकीय सेवा रही, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश भी रही कि स्वास्थ्य और प्रकृति साथ चलें।
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स्वास्थ्य गोष्ठी में दी गई विशेषज्ञों द्वारा महत्वपूर्ण जानकारियाँ
शिविर के समापन के बाद महाप्रबंधक प्रशांत कुमार मिश्रा के मार्गदर्शन में प्रशासनिक भवन के सभागार में एक विशेष स्वास्थ्य गोष्ठी का आयोजन भी हुआ। इसमें मेदांता अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. संदीप वर्मा (जीआई सर्जरी, ऑन्कोलॉजी व बेरिएट्रिक सर्जरी) और डॉ. रोहित कपूर (यूरोलॉजी व किडनी ट्रांसप्लांट) ने गंभीर रोगों की जानकारी और बचाव के उपाय साझा किए।
गोष्ठी में उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस सत्र को अत्यंत उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहलें उन्हें न केवल स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाती हैं, बल्कि जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
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सामुदायिक स्वास्थ्य के प्रति एक संकल्प
इस पूरे आयोजन में आरेडिका के अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके परिजनों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की, जो स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता और जागरूकता का परिचायक रहा। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आर. एन. तिवारी ने इसे आरेडिका परिवार के लिए एक प्रेरणादायक कदम बताया और आश्वस्त किया कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे।
इस शिविर का मकसद सिर्फ चिकित्सा सेवा देना नहीं था, बल्कि समाज को यह संदेश देना भी था कि स्वस्थ शरीर और मानसिक संतुलन ही सशक्त जीवन की नींव हैं