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बाबा ने अब लिया नया अवतार, एक तीर से करेंगे दो शिकार

अभयानंद शुक्ल,लखनऊ।

गोरक्ष पीठाधीश्वर और सुबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बटेंगे तो कटेंगे वाला बयान यूं ही नहीं है। इससे एक पंथ दो काज हो रहे हैं। एक तरफ जहां वे इसके माध्यम से हिंदू समाज को एकजुट होने का संदेश दे रहे हैं, वहीं जाति के नाम पर हिंदुओं के बांटने वालों को खरी-खोटी भी सुना रहे हैं। इसके माध्यम से योगी ने अब नया अवतार ले लिया है। या यूं कह सकते हैं कि अपने पुराने रंग में वापस आ गए हैं। सीएम बनने के बाद से अब तक राजधर्म निभा रहे योगी ने अब प्रखर हिंदुत्व अपना लिया है। वैसे तो पार्टी में उनको छवि कट्टर हिंदुत्व वाले नेता की पहले से ही है किंतु वे इतने मुखर कभी नहीं थे।

चाहे बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध की बात हो, कोलकाता में डाक्टर बेटी से रेप और हत्या मामले में ममता सरकार को घेरना ही या फिर कांग्रेस और सपा को हिंदुत्व विरोधी साबित करने की मुहिम हो, हर जगह योगी एकदम एकदम मुखर हैं। उनका यह भी प्रयास कि हिन्दुओं को जात-पात में बांटने का विपक्ष का प्रयास भोथरा किया जाए ताकि राजनीति की नई इबारत लिखी जा सके। उनके सवालों का माकूल जवाब भी उनके किसी विरोधी के पास दिख नहीं रहा है।

बाबा ने अब लिया नया अवतार

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2024 के लोस चुनाव परिणाम आने के बाद विपक्षी पार्टियो और अपनी ही पार्टी के अंदर विरोध का सामना कर रहे सीएम योगी ने धीरे-धीरे सारे विरोध को शांत कर दिया है। अब वे नये अवतार में आ गए हैं। लगभग एक माह से उनकी भाषा बदली है, तेवर बदले हैं और विरोधियों को निपटाने की स्टाइल बदली है। आगरा में 26 अगस्त को हिंदू समाज को सचेत करते हुए योगी ने कहा था कि हम बंटेंगे तो कटेंगे। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार ने योगी की व्यथित तो किया ही है, साथ ही उनको हिंदुओं को राजनीतिक रूप से मोबिलाइज करने का कारगर औजार भी मिल गया है।

उनका सीधा सवाल है कि फिलिस्तीन पर आंसू बहाने वाले बांग्लादेश पर चुप क्यों है। सीएम ने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब हम सब एक रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में देख रहे हो न क्या हो रहा है, ऐसी गलती यहां नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को संकीर्ण सोच के चलते हिंदू समाज चंटता चला जा रहा है। इसके बाद योगी के इस बयान को विपक्ष ले उड़ा।

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एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तो योगी के बयान को देश बांटने वाला तक कह दिया। इस मामले में खुद की चुप्पी के आरोप पर बेतुका जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है, हमने उसको निंदा की है। पर योगी समाज को विभाजित कर रहे है और तरह के नफरती भाषण से मुसलमानों को निशाना चना रहे हैं। सीएम योगी के इस बयान पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस बयान को उनका असुरक्षा बोध करार दिया। कांग्रेस प्रवक्ता अमीक जमाई ने कहा कि बांट तो आपकी नफरती जुबान रही है। कांग्रेस के एक और प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि भाजपा में इस समय नरेंद्र मोदी और योगी की अलग-अलग विचारधारा है। विचारधारा की इसी लड़ाई में भाजपा अपने आप कटकर खत्म हो जाएगी।

योगी ने इसके बाद एक बार फिर अलीगढ़ में सपा-कांग्रेस को लताड़ते हुए कहा कि उनके अंदर जिन्ना की आत्मा घुस गई है। जिन्ना ने देश विभाजन करने का पाप किया था, इसलिए वह अंतिम समय में घुट-घुट कर मरा था। इस समय हिंदू समाज को आतियों में बांटकर यही पाप कांग्रेस और सपा कर रहे हैं। और उनका भी यहाँ हस होगा। समूचा विपक्ष जाति का विष पोल अराजकता फैलाने का कार्य कर रहा है। वैसे सपा मुखिया को बेटी सुरक्षा पर बोलने का भी कोई अधिकार नहीं है क्योंकि अयोध्या, लखनऊ, कन्नौज और कोलकाता की पटना पर उनकी जुबान नहीं खुलती है। लाल टोपी वालों की नीयत काली है। वे काम नहीं, कारनामे करते हैं।

इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने सावन माह में कांवड़ यात्रा के रास्ते में आने वाले दुकानदारों को अपनी पहचान बताने का आदेश देकर उन मुस्लिम ढाबा मालिकों और दुकानदारों को टारगेट किया। उनका वह आदेश भी उनको हिंदुत्व समर्थक मुहिम का हिस्सा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के दबाव में आदेश पूरी तरह से लागू तो नहीं हो पाया किंतु उन्हें हिंदू समाज को जो मैसेज देना था, वह दे दिया।

मुख्यमंत्री बनने के पहले योगी ने अपने राजनीतिक क्रियाकलाप की शुरुआत अपने संगठन हिंदू युवा वाहिनी से की थी। ये संगठन गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन और आजमगढ़ मंडलों में सक्रिय था। इसके कार्यकर्ता गो हत्या करने वालों को निशाने पर रखते थे। साथ ही जहां कहीं भी हिंदुत्व की बात होती थी, इस संगठन के कार्यकर्ता पूरे आक्रामक अंदाज में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे। योगी इस संगठन के संरक्षक थे। अच योगी ने उसी तेवर को अपना लिया है। उन्हें एक बात समझ में आ गई है कि यदि जातिवादी राजनीति की काट करनी है तो पूरे हिंदू समाज को जात-पात से दूर ले जाना होगा। सूत्रों का कहना है कि उनके इस रुख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी समर्थन प्राप्त है।

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