Wednesday , February 19 2025

विदेश

चीन और नेपाल के बीच 14 और समझौते, रेल और सड़क नेटवर्क बनाने पर रहेगा फोकस

चीन और नेपाल ने गुरुवार को 14 और समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें नेपाल में रेलवे नेटवर्क तैयार करने का समझौता प्रमुख है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इन दिनों चीन की यात्रा पर हैं। उन्होंने बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी। राष्ट्रपति शी ने उन्हें नेपाल के विकास में पूरे सहयोग का भरोसा दिया था। दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के बारे में चीनी मीडिया ने विस्तृत जानकारी नहीं दी है। लेकिन नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट ने बताया है कि दोनों देशों के बीच दस समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं और चार एमओयू पर दस्तखत हुए हैं। दोनों देशों ने ऊर्जा सहयोग पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही नेपाल अपने हित के लिए तिब्बत के राजमार्गों का इस्तेमाल कर सकेगा। दोनों देशों के बीच आर्थिक और तकनीक सहयोग के अतिरिक्त मानव संसाधन विकास के लिए भी समझौता हुआ है। दोनों देशों के बीच बुधवार को 2.4 अरब डॉलर (16,276 करोड़ रुपये) के आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। इनमें कई समझौते बुनियादी सुविधाओं के विकास के हैं। इन समझौतों में महत्वपूर्ण बात यह है कि तिब्बत और नेपाल को रेलमार्ग से जोड़ा जाएगा। इससे नेपाल के व्यापार को काफी बढ़ावा मिलने की संभावना है। राष्ट्रपति शी ने प्रधानमंत्री ओली के साथ वार्ता में तिब्बत को काठमांडू से जोड़ने का आश्वासन दिया है। इन समझौतों के जरिये चीन नेपाल को बड़े रेलवे और रोड नेटवर्क से संपन्न बनाएगा। राष्ट्रपति शी ने बुधवार को नेपाल को वन बेल्ट-वन रोड परियोजना का हिस्सा बनाने की घोषणा की थी।

चीन और नेपाल ने गुरुवार को 14 और समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें नेपाल में रेलवे नेटवर्क तैयार करने का समझौता प्रमुख है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इन दिनों चीन की यात्रा पर हैं। उन्होंने बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी। राष्ट्रपति शी …

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लंदन के चैरिंग स्टेशन पर बम की सूचना के बाद खाली करवाया स्टेशन

सेंट्रल लंदन के चैरिंग स्टेशन पर शुक्रवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक शख्स रेलवे ट्रेक पर आ गया और अपने पास बम होने का दावा किया। उसकी बाद सुनकर लोग डर गए और भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने तत्काल पूरा स्टेशन खाली करवाकर यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इसके बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस ने इस शख्स को गिरफ्तार कर लिया है और कहा है कि जल्द स्टेशन को खोल दिया जाएगा। ब्रिटिश ट्रांसपोर्ट पुलिस के प्रवक्ता के अनुसार चैरिंग क्रॉस स्टेशन पर अपने पास बम होने की धमकी देने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब हम जल्द से जल्द स्टेशन को फिर खोलने की कोशिश में लगे हैं।

सेंट्रल लंदन के चैरिंग स्टेशन पर शुक्रवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक शख्स रेलवे ट्रेक पर आ गया और अपने पास बम होने का दावा किया। उसकी बाद सुनकर लोग डर गए और भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने तत्काल पूरा …

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उरुग्‍वे के बाद गांजा को वैध बनाने वाला दुनिया का दूसरा देश बना कनाडा

मारिजुआना को वैध बनाने वाले जी-7 राष्‍ट्र के बाद कनाडा दुनिया का दूसरा देश है। दिसंबर 2013 में सबसे पहला देश उरुग्‍वे ने मारिजुआना के उत्‍पादन, बिक्री और खपत को वैध किया था। अब कनाडा में मारिजुआना को वैध बनाने वाला विधेयक पारित किया गया है। पड़ोसी अमेरिका के कोलंबिया में मारिजुआना के इस्‍तेमाल की अनुमति है। प्रधानमंत्री जस्‍टिन ट्रूडो के द्वारा एक कैंपेन का आयोजन हुआ जिसमें कम उम्र के यूजर्स से मारिजुआना को दूर रखने और अपराध को कम करने का लक्ष्‍य रखा गया। इस कैंपेन के बाद विधेयक सी-45 जिसे कैनाबिस एक्‍ट के तौर पर भी जाना जाता है, को बनाया गया। मारिजुआना पॉलिसी प्रोजेक्‍ट के अनुसार, कनाडा के संविधान में कैनाबिस एक्‍ट के तहत देश के सभी प्रांतों को मारिजुआना बिजनेस को नियमित बना लाइसेंस देने की अपनी व्‍यवस्‍था कायम करने की अनुमति है। राष्‍ट्रीय ढांचे के तहत व्‍यस्‍कों को 30 ग्राम मारिजुआना लेने की अनुमति होगी। 31 मार्च कनाडा के लिए ऐतिहाासिक, सालों पुराना NRU देश की भलाई के लिए हमेशा के लिए बंद यह भी पढ़ें प्रधानमंत्री जस्‍टिन ट्रूडो सरकार ने उम्‍मीद जतायी की इसे 1 जुलाई तक वैध कर दिया जाएगा लेकिन बुधवार को उन्‍होंने कहा कि पूरे देश में इसे 17 अक्‍टूबर तक वैध किया जाएगा। इससे पहले मारिजुआना को वैध बनाने वाला उरुग्‍वे दुनिया का पहला देश था। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने विधेयक पारित किए जाने पर ट्वीट कर कहा, ‘बच्‍चों के लिए मारिजुआना का इस्‍तेमाल काफी आसान रहा है और अपराधियों ने भी इसका फायदा अब तक काफी उठाया है। आज हम इसे बदल रहे हैं। मारिजुआना को रेगुलेट और वैध बनाने की हमारी योजना संसद में पारित हुई है। कनाडा में घट रहे हैं रोजगार के अवसर, 9 साल में सबसे ज्यादा गिरावट यह भी पढ़ें बता दें कि भारत में भी शशि थरूर ने मारिजुआना को कानूनी रूप से वैध करने का सुझाव रखा है। इस तरह की मांग इससे पहले योग शिक्षक रामदेव भी कर चुके हैं। दुनिया भर में ऐसे बुद्धिजीवी, प्रोफेसर, सेलेब्रिटी और तमाम लोग हैं जो, मारिजुआना, वीड या गांजे को अवैध ड्रग्स के दायरे से बाहर निकालना चाहते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 60 प्रतिशत लोग गांजे को वैध करने के पक्ष में हैं।

मारिजुआना को वैध बनाने वाले जी-7 राष्‍ट्र के बाद कनाडा दुनिया का दूसरा देश है। दिसंबर 2013 में सबसे पहला देश उरुग्‍वे ने मारिजुआना के उत्‍पादन, बिक्री और खपत को वैध किया था। अब कनाडा में मारिजुआना को वैध बनाने वाला विधेयक पारित किया गया है। पड़ोसी अमेरिका के कोलंबिया …

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टेनिस सुपरस्‍टार बोरिस बेकर को राजनयिक मानने से किया इंकार

मध्‍य अफ्रीकी गणराज्‍य (सीएआर) ने बोरिस बेकर को अपना आधिकारिक राजनयिक मानने से इंकार कर दिया है। इनका कहना है कि पूर्व टेनिस स्‍टार का पासपोर्ट फर्जी है। एएफपी द्वारा देखे गए पासपोर्ट की कॉपी 19 मार्च 2018 में जारी की गयी है लेकिन इसपर देश के विदेश मंत्री चार्ल्‍स आर्मल डौबेन द्वारा न तो हस्‍ताक्षर किया गया है और न ही इसपर कोई मुहर है। बता दें कि बोरिस बेकर 1985 में 17 साल की उम्र में पुरुष विम्बलडन चैम्पियन बनने वाले युवा खिलाड़ी बने थे। विदेश मंत्री चार्ल्‍स आर्मल डौबेन ने आगे कहा कि बेकर के राजनयिक स्‍टेटस से उनका कभी सामना नहीं हुआ। उन्‍होंने कहा, ‘बोरिस सीएआर के आधिकारिक राजनयिक नहीं हैं। राजनयिक के तौर पर नियुक्‍ति के लिए इसपर न केवल राष्‍ट्रपति के नॉमिनेशन की बल्‍कि विदेश मंत्री के तौर पर मेरे हस्‍ताक्षर की भी जरूरत होती है। राष्‍ट्रपति ने बोरिस बेकर के लिए किसी एेसे कागजात पर मुझे हस्‍ताक्षर करने को नहीं कहा।' रूसी राजदूत ने चेताया, शीत युद्ध के मुहाने पर दुनिया यह भी पढ़ें उन्‍होंने आगे कहा कि सीएआर राजनयिक होने के लिए जिन चीजों की जरूरत है क्‍या वह बोरिस बेकर के पास है और दूसरी बात कि बोरिस बेकर के पास ऐसे कागजात हैं जो उनके राजनयिक होने का सबूत दे। यदि है तो उन्‍हें वो कागजात दिखाना चाहिए। बोरिस बेकर की नियुक्‍ति के सर्टिफिकेट पर केवल इयू एंबेस्‍डर का हस्‍ताक्षर है। विदेश मंत्रालय के प्रमुख चेरुबिन मोलोगबामा का कहना है कि पासपोर्ट पर मौजूद सीरियल नंबर उन पासपोर्टों से मेल खाता है जो 2014 में चोरी हो गयी थी। शुक्रवार को तीन बार विंबलंडन चैंपियन रहे बोरिस के वकीलों ने लंदन में हाइकोर्ट को बताया कि उन्‍हें अप्रैल में सीएआर के आधिकारिक राजनयिक के तौर पर नियुक्‍त किया गया था। बता दें कि पिछले साल के जून माह में बोरिस को दिवालिया घोषित कर दिया गया था। इन्‍हें निजी बैंकरों की एक फ़र्म को बड़ी रकम चुकानी थी।

मध्‍य अफ्रीकी गणराज्‍य (सीएआर) ने बोरिस बेकर को अपना आधिकारिक राजनयिक मानने से इंकार कर दिया है। इनका कहना है कि पूर्व टेनिस स्‍टार का पासपोर्ट फर्जी है। एएफपी द्वारा देखे गए पासपोर्ट की कॉपी 19 मार्च 2018 में जारी की गयी है लेकिन इसपर देश के विदेश मंत्री चार्ल्‍स …

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मात्र 25 फीसद भारतीय ही करते हैं इंटरनेट का उपयोग

डिजिटल इंडिया को लेकर जोर आजमाइश के बावजूद 2017 में देश में केवल एक चौथाई लोगों ने इंटरनेट का प्रयोग किया। प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए अध्ययन में इस बात का पता चला है। अध्ययन के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे कम इंटरनेट उपयोग करने वाले देशों में से एक है। 37 देशों की सूची में दक्षिण कोरिया पहले स्थान पर है। दक्षिण कोरिया में 96 फीसद वयस्कों ने इंटरनेट का प्रयोग किया। दुनिया में ज्यादातर देश इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, जबकि उप सहारा अफ्रीका व भारत के पास भी ऊंची दर हासिल करने के लिए बहुत कुछ है। भारत में वयस्कों के पास स्मार्टफोन रखने की दर 2013 में 12 फीसद थी जो 2017 में बढ़कर 22 फीसद हो गई, जबकि इस अवधि के दौरान सोशल मीडिया का प्रयोग आठ से बढ़कर 20 फीसद तक पहुंच गया। इसका मतलब, भारत में 78 फीसद वयस्कों के पास स्मार्टफोन नहीं है और देश की अधिकांश 80 फीसद आबादी को फेसबुक और ट्विटर की कोई जानकारी नहीं है। फेसबुक ने जताई चिंता, लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बन सकता इंटरनेट यह भी पढ़ें इंटरनेट की पहुंच दर इंटरनेट उपयोग या फिर स्मार्टफोन रखने वाले लोगों द्वारा मापी जाती है। यह उत्तरी अमेरिका और यूरोप के अधिकांश हिस्सों के साथ-साथ एशिया-प्रशांत के कुछ हिस्सों में भी अधिक रहती है। वहीं ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, स्वीडन, कनाडा, अमेरिका, इजराइल, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन में लगभग नौ से 10 फीसद लोग ही इंटरनेट का उपयोग करते हैं। क्षेत्रीय रूप से उप-सहारा अफ्रीका दुनिया के सबसे कम इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में से एक है।

डिजिटल इंडिया को लेकर जोर आजमाइश के बावजूद 2017 में देश में केवल एक चौथाई लोगों ने इंटरनेट का प्रयोग किया। प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए अध्ययन में इस बात का पता चला है। अध्ययन के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे कम इंटरनेट उपयोग करने वाले देशों में से …

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ट्रंप ने किया शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर, अब बॉर्डर पर परिवार से अलग नहीं होंगे बच्चे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर इमिग्रेंट परिवारों को अलग करने की कार्रवाई पर रोक लगाने वाले एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए. अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले प्रवासी परिवारों के बच्चों को बाड़े में रखने की तस्वीरें सामने आने के बाद से दुनियाभर में ट्रंप के फैसले के प्रति रोष देखने को मिल रहा था. चौतरफा आलोचना झेल रहे ट्रंप ने इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव करते हुए इस शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए. देश में अवैध रूप से घुसने वालों को नहीं बख्शा जाएगा अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों को उनके बच्चों से अलग कर दिया जा रहा था. पिछले कुछ हफ्तों में ऐसे 2,500 बच्चों को उनके मां-बाप से जुदा किया गया. शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में कहा, “हम परिवारों को साथ रखेंगे और इससे समस्या सुलझ जाएगी. साथ ही हम सीमा पर सख्ती बनाए रखेंगे और इसे कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति बरकरार रहेगी. हम उन लोगों को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे जो देश में अवैध रूप से प्रवेश करते हैं. ” मुकदमा पूरा होने तक साथ रहेगा पूरा परिवार इस शासकीय आदेश में गृह सुरक्षा विभाग से परिवारों को तब तक साथ रखने को कहा गया है जब तक कि उन पर अवैध रूप से सीमा पार करने के मामले में मुकदमा पूरा न हो जाए. लेकिन उन मामलों को इस शासकीय आदेश से अलग रखा गया है जहां परिवार वाले बच्चों के हित के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. ट्रंप ने कहा कि यह शासकीय आदेश परिवारों को साथ रखने के साथ ही एक मजबूत और शक्तिशाली सीमा सुनिश्चित करने के संबंध में है. सीमा पर सख्ती बरकरार रहेगी उन्होंने कहा, “सीमा पर सुरक्षा भले ही पहले के मुकाबले बढ़ाई न गई हो लेकिन पहले जितनी रहेगी. हम सीमा पर सख्ती बरकरार रखेंगे लेकिन हम परिवारों को साथ रखने वाले हैं.” ट्रंप ने कहा कि उन्हें परिवारों को अलग होते हुए देखना अच्छा नहीं लगता. 'यह एक ऐसी समस्या है जो कई सालों से चली आ रही है, कई प्रशासनों के कार्यकाल से. हम इमिग्रेशन पर बहुत मेहनत कर रहे हैं. यह मामला ठंडे बस्ते में रहा है. लोगों को इसका सामना नहीं करना पड़ा लेकिन हम इसका सामना कर रहे हैं.' विपक्षी ट्रंप से नहीं हैं संतुष्ट हालांकि, ट्रंप के विपक्षी इस शासकीय आदेश से संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने कहा है कि यह पर्याप्त नहीं है. डेमोक्रेटिक नेता नैन्सी पेलोसी ने कहा, “राष्ट्रपति का शासकीय आदेश बाल उत्पीड़न के एक रूप को दूसरे से बदलने का काम करेगा. भयभीत बच्चों को संरक्षण देने के बजाए राष्ट्रपति ने अपने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिए कि वो परिवारों को जेल जैसी स्थितियों में लंबे समय तक कैद रखने के लिए रास्ता तलाशे.’’ ट्रंप पर एंटी इमिग्रेशन एजेंडा आगे बढ़ाने का आरोप नैन्सी ने कहा कि राष्ट्रपति के एंटी इमिग्रेशन एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए आतंकित बच्चों का 'फायदा उठाना' हमारे राष्ट्र के लिए बेहद अनैतिक है. शीर्ष डेमोक्रेटिक नेता जो क्रोअली ने कहा कि यह आदेश बच्चों को उनके परिजन से अलग करने पर रोक लगाता है लेकिन यह प्रशासन की उस घृणित नीति को नहीं खत्म करता जिसमें शरण मांगने वालों और हिंसा के कारण यहां आने वाले लोगों को बिना कारण के हिरासत में ले लिया जाता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर इमिग्रेंट परिवारों को अलग करने की कार्रवाई पर रोक लगाने वाले एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए. अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले प्रवासी परिवारों के बच्चों को बाड़े में रखने की तस्वीरें सामने आने के बाद से दुनियाभर में …

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न्यूज़ीलैंड: PM जैसिंडा अर्डर्न बनीं मां, बेटी की परवरिश के लिए पति छोड़ेंगे अपना करियर

न्यूज़ीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न ने एक बेटी को जन्म दिया है. अमेरिकी मीडिया सीएनएन के मुताबाकि लगभग पिछले 30 सालों में अर्डर्न के अलावा किसी फर्स्ट वर्ल्ड महिला नेता ने ऑफिस संभालते हुई बच्चे को जन्म नहीं दिया है. न्यूज़ीलैंड के लोकल समय के मुताबिक उनकी बेटी का जन्म शाम 4.45 मिनट पर हुआ. इसकी जानकारी अर्डर्न ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर दी है. उन्होंने ये भी बताया कि उनकी बेटी का वजन 3.31 किलो है. इंस्टा पर की बेटी के जन्म की घोषण बेटी के जन्म के बाद के पहले संदेश में उन्होंने लिखा, "आपकी शुभकामनाओं और प्यार के लिए तहे दिल से शुक्रिया. हमें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई. मैं ऑकलैंड के सिटी हॉस्पिटल की टीम का भी शुक्रिया अदा करना चाहूंगी." आपको बता दें कि अर्डर्न की डिलिवरी के लिए 17 जून की तारीख दी गई थी. इंस्टाग्राम पर ही की थी प्रेग्नेंसी की घोषणा 37 साल की जैसिंडा पिछले साल अक्टूबर में देश की पीएम बनी थीं. उन्होंने जनवरी महीने में इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालकर अपनी प्रेग्नेंसी की जानकारी सार्वजनिक की थी और बेटी के जन्म के बाद भी अपनी भावनाओं को शेयर करने के लिए उन्होंने इंस्टा का ही सहारा लिया है. बेटी की परवरिश के लिए पति छोड़ेंगे अपना करियर आपको बता दें कि प्रधानमंत्री के बच्चे के जन्म को लेकर इतना उत्साह था कि वहां की मीडिया इसका लाइव कवरेज कर रही थी. वहीं, सबसे बड़ी बात ये है कि उनके पति क्लार्क गेफोर्ड ने बेटी को संभालने के लिए अपना करियर छोड़ने का फैसला लिया है. उनके पति एक टीवी शो होस्ट करते हैं. बेटी के जन्म के बाद उसकी परवरिश के लिए वो ये टीवी शो छोड़ देंगे.

न्यूज़ीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न ने एक बेटी को जन्म दिया है. अमेरिकी मीडिया सीएनएन के मुताबाकि लगभग पिछले 30 सालों में अर्डर्न के अलावा किसी फर्स्ट वर्ल्ड महिला नेता ने ऑफिस संभालते हुई बच्चे को जन्म नहीं दिया है. न्यूज़ीलैंड के लोकल समय के मुताबिक उनकी बेटी का जन्म …

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सीजफायर खत्‍म होते ही तालिबान आतंकियों का बड़ा हमला, 30 अफगान सैनिकों की ली जान

ईद के मौके पर लागू सीजफायर के खत्‍म होते ही तालिबान आतंकियों ने अफगान सैनिकों पर बड़ा हमला किया। आतंकियों ने बुधवार को 30 अफगान सैनिकों की हत्‍या कर दी और बडघिस के पश्‍चिमी प्रांत में सैन्‍य शिविर पर कब्‍जा कर लिया। यह जानकारी प्रांत के गर्वनर ने दी। तालिबान की ओर से घोषित सीजफायर रविवार को समाप्‍त हो गया था। सीजफायर के खत्‍म होने के बाद यह पहला बड़ा हमला है जिसमें इतने सैनिकों को निशाना बनाया गया है। प्रांत के गवर्नर अब्दुल कफूर मलिकजई ने बताया कि दो सुरक्षा चौकियों पर तालिबान ने हमला बोला। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से एक बालमेरघब के जिला स्‍थित एक सैन्‍य ठिकाने को निशाना बनाया गया था। ADVERTISING inRead invented by Teads कई दिशाओं से भारी संख्या में तालिबानी आतंकी आए और एक साथ हमला कर दिया। घंटों तक की गई गोलीबारी में 30 अफगानी सैनिक मारे गए और इसके बाद तालिबान ने सैन्‍य शिविर पर कब्जा कर लिया। उन्होंने बताया कि तालिबान के खिलाफ अन्य क्षेत्रों में मंगलवार रात से जारी सुरक्षा अभियानों में 15 आतंकी मारे गए हैं। इस बीच तालिबान ने इस घटनाक्रम पर अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं की है। नहीं रहा सीजफायर के ऐलान का मतलब, तालिबानी हमले में मारे गए 20 अफगानी सैनिक यह भी पढ़ें बदघिस पुलिस के प्रवक्ता नकीबुल्लाह अमीनी ने तालिबान के हमले में 30 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा इसी जिले में अन्य सुरक्षा चौकियों पर तालिबान ने अलग-अलग हमले कर चार सैनिकों की हत्या कर दी है। सरकार की तरफ से घोषित एक तरफा संघर्ष विराम बुधवार को समाप्त होने वाला था और राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इसे अगले दस दिनों के लिए बढ़ा दिया है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इससे तालिबान को सरकार के कब्जे वाले क्षेत्रों में आने में कोई दिक्कत नहीं होती है और वे राजधानी काबुल में बेखौफ घूम रहे हैं। काबुल में तैनात एक पश्चिमी राजनयिक सरकार की इस घोषणा पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा था कि इसके नतीजे काफी विनाशकारी साबित होंगे। अमेरिका के नेतृत्‍व में नाटो फोर्सेज को बाहर निकालने के लिए तालिबान लड़ाई कर रहा है साथ ही यह अमेरिका समर्थित गनी सरकार को हटाकर शरिया या इस्‍लामिक कानून लाना चाहता है।

ईद के मौके पर लागू सीजफायर के खत्‍म होते ही तालिबान आतंकियों ने अफगान सैनिकों पर बड़ा हमला किया। आतंकियों ने बुधवार को 30 अफगान सैनिकों की हत्‍या कर दी और बडघिस के पश्‍चिमी प्रांत में सैन्‍य शिविर पर कब्‍जा कर लिया। यह जानकारी प्रांत के गर्वनर ने दी। तालिबान …

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दक्षिणी सूडान में तैनात भारतीय शांतिरक्षकों की संयुक्‍त राष्‍ट्र ने की सराहना

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दक्षिणी सूडान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान की सराहना की है। युद्ध के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे लोगों की सहायता के लिए यूएन ने सूडान में शांति रक्षा मिशन की शुरुआत की थी। दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआइएसएस) के एक बयान में कहा गया है कि भारतीय शांतिरक्षकों ने देश के उत्तर-पूर्वी शहर अकोबो के जॉनग्लेइ क्षेत्र में गत फरवरी में अस्थायी बेस की शुरुआत की थी। भारतीय शांतिरक्षक बड़ी संख्या में विस्थापित हुए इस क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के साथ ही जरूरतमंदों को मानवीय सहायता भी पहुंचा रहे हैं। क्षेत्र में कई आश्रय स्थलों का भी निर्माण किया गया है। शांतिरक्षक पूरे क्षेत्र में गश्त करते हैं जिससे स्थानीय समुदाय का आत्मविश्वास बढ़ा है और वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सूडान में तैनात भारतीय बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल नेगी ने कहा, '40 डिग्री तापमान, भारी बारिश और अन्य समस्याओं के बावजूद शांतिरक्षक लोगों को सुरक्षा देने और शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश और इथोपिया के बाद सबसे अधिक भारतीय शांतिरक्षक ही संयुक्त राष्ट्र मिशन पर तैनात हैं। अप्रैल, 2018 तक 2,341 भारतीय शांतिरक्षक यूएनएमआइएसएस में योगदान दे रहे थे।

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दक्षिणी सूडान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान की सराहना की है। युद्ध के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे लोगों की सहायता के लिए यूएन ने सूडान में शांति रक्षा मिशन की शुरुआत …

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अमेरिका ने यूएन मानवाधिकार परिषद से बाहर होने का किया एलान, ये है वजह

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पर बेशर्म और पाखंडी होने का आरोप लगाते हुए अमेरिका इस वैश्विक संस्था से बाहर निकल आया है। इसका कहना है कि परिषद जहां गलत काम करने वालों पर चुप्पी साध लेती है, वहीं बेगुनाह देशों की गलत आलोचना करती रहती है। अमेरिका अब किसी पाखंडी संस्था का भाषण नहीं सुनेगा। वाशिंगटन के मानवाधिकार परिषद से बाहर आने का एलान संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली रंधावा ने किया। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाले देश लगातार परिषद में बने हुए हैं। उन्होंने इस पर इजरायल के प्रति भेदभाव और शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने का भी आरोप लगाया। रंधावा ने कहा कि मानवाधिकार परिषद से बाहर आने का मतलब मानवाधिकार के प्रति वचनबद्धताओं से हमारा पीछे हटना नहीं है। दरअसल, हमने यह कदम उठाया ही इसलिए है कि हमारी प्रतिबद्धता हमें किसी पाखंडी संस्था में बने रहने की इजाजत नहीं दे रही है। हम किसी ऐसी संस्था में नहीं बने रह सकते, जिसने मानवाधिकार का मजाक बनाकर रख दिया है।पत्रकार वार्ता में रंधावा के साथ मौजूद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि किसी समय इसका उद्देश्य बहुत अच्छा था। लेकिन, आज यदि ईमानदारी से कहा जाए, तो यह मानवाधिकारों की रक्षा करने में नाकाम साबित हो रहा है। चीन, क्यूबा और वेनेजुएला जैसे देश भी इसके सदस्य बने हुए हैं, जिनका मानवाधिकार रिकॉर्ड अस्पष्ट और घृणास्पद रहा है। ...तो इसलिए अमेरिका ने फिर दी यूएन मानवाधिकार परिषद से निकलने की धमकी यह भी पढ़ें संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली रंधावा ने पिछले साल ही सदस्यता वापस लेने की धमकी दी थी। उस समय उन्होंने इजरायल के खिलाफ परिषद पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। लेकिन मंगलवार की घोषणा यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख द्वारा ट्रंप प्रशासन की निंदा किए जाने के एक दिन बाद की गई है। एक दिन पहले यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने अप्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने के लिए ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी। सीरिया करने जा रहा निरस्‍त्रीकरण अधिवेशन की अध्‍यक्षता, अमेरिका बोले- ये क्‍या मजाक है? यह भी पढ़ें गौरतलब है कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्‍कार किया था, लेकिन ओबामा के राष्‍ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पर बेशर्म और पाखंडी होने का आरोप लगाते हुए अमेरिका इस वैश्विक संस्था से बाहर निकल आया है। इसका कहना है कि परिषद जहां गलत काम करने वालों पर चुप्पी साध लेती है, वहीं बेगुनाह देशों की गलत आलोचना करती रहती है। अमेरिका अब किसी पाखंडी …

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