Tuesday , May 13 2025

विदेश

न्यूज़ीलैंड: PM जैसिंडा अर्डर्न बनीं मां, बेटी की परवरिश के लिए पति छोड़ेंगे अपना करियर

न्यूज़ीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न ने एक बेटी को जन्म दिया है. अमेरिकी मीडिया सीएनएन के मुताबाकि लगभग पिछले 30 सालों में अर्डर्न के अलावा किसी फर्स्ट वर्ल्ड महिला नेता ने ऑफिस संभालते हुई बच्चे को जन्म नहीं दिया है. न्यूज़ीलैंड के लोकल समय के मुताबिक उनकी बेटी का जन्म शाम 4.45 मिनट पर हुआ. इसकी जानकारी अर्डर्न ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर दी है. उन्होंने ये भी बताया कि उनकी बेटी का वजन 3.31 किलो है. इंस्टा पर की बेटी के जन्म की घोषण बेटी के जन्म के बाद के पहले संदेश में उन्होंने लिखा, "आपकी शुभकामनाओं और प्यार के लिए तहे दिल से शुक्रिया. हमें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई. मैं ऑकलैंड के सिटी हॉस्पिटल की टीम का भी शुक्रिया अदा करना चाहूंगी." आपको बता दें कि अर्डर्न की डिलिवरी के लिए 17 जून की तारीख दी गई थी. इंस्टाग्राम पर ही की थी प्रेग्नेंसी की घोषणा 37 साल की जैसिंडा पिछले साल अक्टूबर में देश की पीएम बनी थीं. उन्होंने जनवरी महीने में इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालकर अपनी प्रेग्नेंसी की जानकारी सार्वजनिक की थी और बेटी के जन्म के बाद भी अपनी भावनाओं को शेयर करने के लिए उन्होंने इंस्टा का ही सहारा लिया है. बेटी की परवरिश के लिए पति छोड़ेंगे अपना करियर आपको बता दें कि प्रधानमंत्री के बच्चे के जन्म को लेकर इतना उत्साह था कि वहां की मीडिया इसका लाइव कवरेज कर रही थी. वहीं, सबसे बड़ी बात ये है कि उनके पति क्लार्क गेफोर्ड ने बेटी को संभालने के लिए अपना करियर छोड़ने का फैसला लिया है. उनके पति एक टीवी शो होस्ट करते हैं. बेटी के जन्म के बाद उसकी परवरिश के लिए वो ये टीवी शो छोड़ देंगे.

न्यूज़ीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न ने एक बेटी को जन्म दिया है. अमेरिकी मीडिया सीएनएन के मुताबाकि लगभग पिछले 30 सालों में अर्डर्न के अलावा किसी फर्स्ट वर्ल्ड महिला नेता ने ऑफिस संभालते हुई बच्चे को जन्म नहीं दिया है. न्यूज़ीलैंड के लोकल समय के मुताबिक उनकी बेटी का जन्म …

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सीजफायर खत्‍म होते ही तालिबान आतंकियों का बड़ा हमला, 30 अफगान सैनिकों की ली जान

ईद के मौके पर लागू सीजफायर के खत्‍म होते ही तालिबान आतंकियों ने अफगान सैनिकों पर बड़ा हमला किया। आतंकियों ने बुधवार को 30 अफगान सैनिकों की हत्‍या कर दी और बडघिस के पश्‍चिमी प्रांत में सैन्‍य शिविर पर कब्‍जा कर लिया। यह जानकारी प्रांत के गर्वनर ने दी। तालिबान की ओर से घोषित सीजफायर रविवार को समाप्‍त हो गया था। सीजफायर के खत्‍म होने के बाद यह पहला बड़ा हमला है जिसमें इतने सैनिकों को निशाना बनाया गया है। प्रांत के गवर्नर अब्दुल कफूर मलिकजई ने बताया कि दो सुरक्षा चौकियों पर तालिबान ने हमला बोला। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से एक बालमेरघब के जिला स्‍थित एक सैन्‍य ठिकाने को निशाना बनाया गया था। ADVERTISING inRead invented by Teads कई दिशाओं से भारी संख्या में तालिबानी आतंकी आए और एक साथ हमला कर दिया। घंटों तक की गई गोलीबारी में 30 अफगानी सैनिक मारे गए और इसके बाद तालिबान ने सैन्‍य शिविर पर कब्जा कर लिया। उन्होंने बताया कि तालिबान के खिलाफ अन्य क्षेत्रों में मंगलवार रात से जारी सुरक्षा अभियानों में 15 आतंकी मारे गए हैं। इस बीच तालिबान ने इस घटनाक्रम पर अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं की है। नहीं रहा सीजफायर के ऐलान का मतलब, तालिबानी हमले में मारे गए 20 अफगानी सैनिक यह भी पढ़ें बदघिस पुलिस के प्रवक्ता नकीबुल्लाह अमीनी ने तालिबान के हमले में 30 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा इसी जिले में अन्य सुरक्षा चौकियों पर तालिबान ने अलग-अलग हमले कर चार सैनिकों की हत्या कर दी है। सरकार की तरफ से घोषित एक तरफा संघर्ष विराम बुधवार को समाप्त होने वाला था और राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इसे अगले दस दिनों के लिए बढ़ा दिया है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इससे तालिबान को सरकार के कब्जे वाले क्षेत्रों में आने में कोई दिक्कत नहीं होती है और वे राजधानी काबुल में बेखौफ घूम रहे हैं। काबुल में तैनात एक पश्चिमी राजनयिक सरकार की इस घोषणा पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा था कि इसके नतीजे काफी विनाशकारी साबित होंगे। अमेरिका के नेतृत्‍व में नाटो फोर्सेज को बाहर निकालने के लिए तालिबान लड़ाई कर रहा है साथ ही यह अमेरिका समर्थित गनी सरकार को हटाकर शरिया या इस्‍लामिक कानून लाना चाहता है।

ईद के मौके पर लागू सीजफायर के खत्‍म होते ही तालिबान आतंकियों ने अफगान सैनिकों पर बड़ा हमला किया। आतंकियों ने बुधवार को 30 अफगान सैनिकों की हत्‍या कर दी और बडघिस के पश्‍चिमी प्रांत में सैन्‍य शिविर पर कब्‍जा कर लिया। यह जानकारी प्रांत के गर्वनर ने दी। तालिबान …

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दक्षिणी सूडान में तैनात भारतीय शांतिरक्षकों की संयुक्‍त राष्‍ट्र ने की सराहना

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दक्षिणी सूडान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान की सराहना की है। युद्ध के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे लोगों की सहायता के लिए यूएन ने सूडान में शांति रक्षा मिशन की शुरुआत की थी। दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआइएसएस) के एक बयान में कहा गया है कि भारतीय शांतिरक्षकों ने देश के उत्तर-पूर्वी शहर अकोबो के जॉनग्लेइ क्षेत्र में गत फरवरी में अस्थायी बेस की शुरुआत की थी। भारतीय शांतिरक्षक बड़ी संख्या में विस्थापित हुए इस क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के साथ ही जरूरतमंदों को मानवीय सहायता भी पहुंचा रहे हैं। क्षेत्र में कई आश्रय स्थलों का भी निर्माण किया गया है। शांतिरक्षक पूरे क्षेत्र में गश्त करते हैं जिससे स्थानीय समुदाय का आत्मविश्वास बढ़ा है और वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सूडान में तैनात भारतीय बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल नेगी ने कहा, '40 डिग्री तापमान, भारी बारिश और अन्य समस्याओं के बावजूद शांतिरक्षक लोगों को सुरक्षा देने और शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश और इथोपिया के बाद सबसे अधिक भारतीय शांतिरक्षक ही संयुक्त राष्ट्र मिशन पर तैनात हैं। अप्रैल, 2018 तक 2,341 भारतीय शांतिरक्षक यूएनएमआइएसएस में योगदान दे रहे थे।

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दक्षिणी सूडान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान की सराहना की है। युद्ध के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे लोगों की सहायता के लिए यूएन ने सूडान में शांति रक्षा मिशन की शुरुआत …

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अमेरिका ने यूएन मानवाधिकार परिषद से बाहर होने का किया एलान, ये है वजह

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पर बेशर्म और पाखंडी होने का आरोप लगाते हुए अमेरिका इस वैश्विक संस्था से बाहर निकल आया है। इसका कहना है कि परिषद जहां गलत काम करने वालों पर चुप्पी साध लेती है, वहीं बेगुनाह देशों की गलत आलोचना करती रहती है। अमेरिका अब किसी पाखंडी संस्था का भाषण नहीं सुनेगा। वाशिंगटन के मानवाधिकार परिषद से बाहर आने का एलान संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली रंधावा ने किया। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाले देश लगातार परिषद में बने हुए हैं। उन्होंने इस पर इजरायल के प्रति भेदभाव और शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने का भी आरोप लगाया। रंधावा ने कहा कि मानवाधिकार परिषद से बाहर आने का मतलब मानवाधिकार के प्रति वचनबद्धताओं से हमारा पीछे हटना नहीं है। दरअसल, हमने यह कदम उठाया ही इसलिए है कि हमारी प्रतिबद्धता हमें किसी पाखंडी संस्था में बने रहने की इजाजत नहीं दे रही है। हम किसी ऐसी संस्था में नहीं बने रह सकते, जिसने मानवाधिकार का मजाक बनाकर रख दिया है।पत्रकार वार्ता में रंधावा के साथ मौजूद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि किसी समय इसका उद्देश्य बहुत अच्छा था। लेकिन, आज यदि ईमानदारी से कहा जाए, तो यह मानवाधिकारों की रक्षा करने में नाकाम साबित हो रहा है। चीन, क्यूबा और वेनेजुएला जैसे देश भी इसके सदस्य बने हुए हैं, जिनका मानवाधिकार रिकॉर्ड अस्पष्ट और घृणास्पद रहा है। ...तो इसलिए अमेरिका ने फिर दी यूएन मानवाधिकार परिषद से निकलने की धमकी यह भी पढ़ें संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली रंधावा ने पिछले साल ही सदस्यता वापस लेने की धमकी दी थी। उस समय उन्होंने इजरायल के खिलाफ परिषद पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। लेकिन मंगलवार की घोषणा यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख द्वारा ट्रंप प्रशासन की निंदा किए जाने के एक दिन बाद की गई है। एक दिन पहले यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने अप्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने के लिए ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी। सीरिया करने जा रहा निरस्‍त्रीकरण अधिवेशन की अध्‍यक्षता, अमेरिका बोले- ये क्‍या मजाक है? यह भी पढ़ें गौरतलब है कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्‍कार किया था, लेकिन ओबामा के राष्‍ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पर बेशर्म और पाखंडी होने का आरोप लगाते हुए अमेरिका इस वैश्विक संस्था से बाहर निकल आया है। इसका कहना है कि परिषद जहां गलत काम करने वालों पर चुप्पी साध लेती है, वहीं बेगुनाह देशों की गलत आलोचना करती रहती है। अमेरिका अब किसी पाखंडी …

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नेपाल के PM अाज से चीन दौरे पर, तिब्बत-काठमांडू रेलवे लाइन समझौते पर करेंगे हस्ताक्षर

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पांच दिनों की चीन यात्रा के दौरान दोनों देश कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। इन समझौतों में ऊर्जा सहयोग और तिब्बत में केरुंग से राजधानी काठमांडू के बीच रेलवे लाइन निर्माण समझौता भी शामिल होगा। चीन दौरे पर जा रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से एक पूर्व प्रधानमंत्री ने बीजिंग के सामने भारत-नेपाल-चीन के बीच लिपु लेख का विवादित मुद्दा उठाने को कहा है। मंगलवार से शुरू होने जा रही पांच दिनों की चीन यात्रा से पहले प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री 19 से 24 जून तक चीन की यात्रा पर रहेंगे। भारत-चीन के साथ लगती नेपाली सीमा पर लिपु लेख अंतिम बिंदु है। इसे नेपाल और तिब्बत के बीच व्यापारियों और तीर्थयात्रियों के आवागमन का प्राचीन मार्ग माना जाता है। ओली ने पहली बार शनिवार को देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा, पुष्प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल, झाला नाथ खानल और बाबूराम भट्टराई से बातचीत की। न्याय शक्ति नेपाल पार्टी के समन्वयक भट्टराई ने प्रधानमंत्री के सामने 10 सूत्री सुझाव प्रस्तुत किया। मोदी-ओली ने रखी 900 मेगावाट के जलविद्युत संयंत्र की आधारशिला यह भी पढ़ें काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, भट्टराई ने ओली से लिपु लेख मुद्दा उठाने का आग्रह किया है। दोनों देशों के बीच इसे ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में विकसित करने पर सहमति बन चुकी है। चीन के साथ सीमा पर और प्वाइंट खोलने, जमीन की अदला-बदली कर सीमा विवाद का निपटारा करने, बेल्ट एंड रोड पहल ढांचा और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट बैंक के तहत वित्तीय मदद मांगने और सीमावर्ती कस्बे केरुंग से काठमांडू तक रेलवे निर्माण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री से ग्रांट हासिल करने को भी कहा है। मुलाकात के दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों ने ओली से परियोजनाएं पेश करने और चीन से सहायता मांगने को कहा। इससे नेपाल को अपने ताकतवर पड़ोसी के त्वरित विकास का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने चीन के निवेशकों को आकर्षित करने का भी सुझाव दिया है। ओली ने उन्हें नेपाल-चीन संबंधों नई ऊंचाई तक ले जाने का भरोसा दिया।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पांच दिनों की चीन यात्रा के दौरान दोनों देश कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। इन समझौतों में ऊर्जा सहयोग और तिब्बत में केरुंग से राजधानी काठमांडू के बीच रेलवे लाइन निर्माण समझौता भी शामिल होगा। चीन दौरे पर जा रहे नेपाल के प्रधानमंत्री …

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भारत से ज्यादा परमाणु हथियार चीन और पाकिस्तान में, फिर भी भारत की धमक

पाकिस्तान और चीन में भारत के मुकाबले ज्यादा परमाणु हथियार हैं, इसके बावजूद विश्वसनीय तरीके से भारत की धमक बनी हुई है. भारत एक जिम्मेदार न्यूक्लियर पावर है. एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI ईयरबुक 2018) की रिपोर्ट 'न्यूक्लियर वार हेड्स नॉट डेल्हीज वार फाइटिंग वेपन बट टूल फॉर रिटैलियन' में भारत, पाकिस्तान और चीन के परमाणु हथियारों के बारे में कई दिचलस्प आंकड़े दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में परमाणु हथियार रखने वाले सभी देश नए परमाणु हथियार प्रणालियों का विकास कर रहे हैं और अपने मौजूदा सिस्टम का आधुनिकीकरण कर रहे हैं. दूसरी तरफ, दुनिया भर में शांति अभियानों में लगे लोगों में कमी आ रही है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत के पास 130 से 140, पाकिस्तान के पास 140 से 150 और चीन के पास 280 परमाणु हथियार हैं. रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 की शुरुआत तक भारत, पाकिस्तान, अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, चीन, इजरायल और उत्तर कोरिया के पास करीब 14,465 परमाणु हथियार थे. हालांकि 2017 के शुरुआत की तुलना में यह संख्या कम है, क्योंकि तब इन देशों के पास कुल 14,935 परमाणु हथियार थे. इस गिरावट की वजह रूस और अमेरिका द्वारा अपने हथियारों में कटौती लाना था. गौरतलब है कि दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का करीब 92 फीसदी हिस्सा इन दोनों देशों में ही है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत और पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार भंडार का विस्तार कर रहे हैं और नए जमीन, समु्द्र और वायु में मार करने वाले मिसाइल डिलिवरी सिस्टम का विकास कर रहे हैं. चीन भी अपने परमाणु हथियार प्रणाली का विकास कर रहा है और धीरे-धीरे अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है. साल 2017 में उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियार क्षमता के मामले में काफी बढ़ोतरी की है. दक्षिण कोरिया ने भी दो नए लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल डिलिवरी सिस्टम का परीक्षण कर इस मामले में अभूतपूर्व प्रगति की है.'

पाकिस्तान और चीन में भारत के मुकाबले ज्यादा परमाणु हथियार हैं, इसके बावजूद विश्वसनीय तरीके से भारत की धमक बनी हुई है. भारत एक जिम्मेदार न्यूक्लियर पावर है. एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI ईयरबुक 2018) की रिपोर्ट ‘न्यूक्लियर वार हेड्स नॉट …

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अमेरिका: ट्रंप ने अंतरिक्ष में फौज उतारने के दिए आदेश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा मुख्यालय पेंटागन को 'नया अमेरिकी स्पेस फोर्स' तैयार करने का आदेश दिया. अमेरिकी सेना की यह छठा ब्रांच होगा और अंतरिक्ष में अमेरिकी दबदबे को सुनिश्चित करेगा. ट्रंप ने कहा, ‘‘मैंने रक्षा विभाग और पेंटागन को सैन्य बलों की छठे ब्रांच के तौर पर स्पेस फोर्स तैयार करने की आवश्यक प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास एयर फोर्स है, लेकिन हम अलग स्पेस फोर्स का गठन करने के लिए बढ़ रहे हैं.’’ ट्रंप ने कहा, ‘‘अमेरिका की रक्षा की बात आती है तो अंतरिक्ष में अमेरिकी मौजूदगी ही काफी नहीं है, अंतरिक्ष में हमारा दबदबा भी होना चाहिए.’’ स्पेस फोर्स या अंतरिक्ष बल की भूमिका के बारे में अभी विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा मुख्यालय पेंटागन को ‘नया अमेरिकी स्पेस फोर्स’ तैयार करने का आदेश दिया. अमेरिकी सेना की यह छठा ब्रांच होगा और अंतरिक्ष में अमेरिकी दबदबे को सुनिश्चित करेगा. ट्रंप ने कहा, ‘‘मैंने रक्षा विभाग और पेंटागन को सैन्य बलों की छठे ब्रांच के तौर पर स्पेस फोर्स तैयार …

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लंदन: पढ़ें, क्यों संसद के एक हिस्से को महिलाओं के अंडरगार्मेंट्स से सजा दिया गया

ब्रिटेन में एक कानून लाया जा रहा है. कानून के तहत अगर किसी महिला के स्कर्ट के निचले हिस्स (अप-स्कर्ट) से बिना उसकी अनुमति के तस्वीर ली जाती है तो ऐसा करने वाले को दो साल की सज़ा दी जाएगी. इसी का विरोध कर रहे एक सांसद को खुद एक अनोखे विरोध का सामना करना पड़ा. बिल पर अड़ंगा लगाने का फैसले करने वाले सांसद से नाराज़ निचली सदन की कुछ कर्मचारियों ने अनूठा विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने सांसद के कार्यालय को महिलाओं के अंडरगार्मेंट्स से सजा दिया. कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद क्रिस्टोफर चोप की इसके लिए भारी आलोचना हो रही है. प्रधानमंत्री टेरिजा मे ने भी उनकी आलोचना की है. आपको बता दें कि जब चोप संसद पहुंचे तब उन्होंने पाया कि उनके संसदीय कार्यालय के दरवाजे पर कई अंडरगार्मेंट्स टंगे हुए थे. इस सप्ताह के अंत में चोप के निर्वाचन क्षेत्र के कार्यालय को भी निशाना बनाया गया जहां तीन-तीन जोड़ी पैंट टंगे हुए थे और संदेश लिखा था, ‘‘मेरी मर्जी के बिना कोई भी मेरी पैंट की तस्वीर ना ले.’’ चोप ने मीडिया से कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने नये कानून का समर्थन किया है. लेकिन वो इसपर ‘पर्याप्त बहस’ चाहते हैं.

ब्रिटेन में एक कानून लाया जा रहा है. कानून के तहत अगर किसी महिला के स्कर्ट के निचले हिस्स (अप-स्कर्ट) से बिना उसकी अनुमति के तस्वीर ली जाती है तो ऐसा करने वाले को दो साल की सज़ा दी जाएगी. इसी का विरोध कर रहे एक सांसद को खुद एक …

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अमेरिका: क्रूर कानून के तहत बच्चों को परिवार से अलग किए जाने पर छल्का मेलानिया का दर्द

अमेरिका: क्रूर कानून के तहत बच्चों को परिवार से अलग किए जाने पर छल्का मेलानिया का दर्द

अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने मेक्सिको सीमा से अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले माता-पिता को उनके बच्चों से अलग करने वाली सरकार की नीति के खिलाफ आवाज उठाई है. मेलानिया की प्रवक्ता स्टेफनी ने कहा, “मेलानिया ट्रंप ने कहा कि वो बच्चों को अपने परिवारों …

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US में भारतवंशी मां ने कड़े संघर्ष के बाद बेटे को दिलाया इंसाफ

US में भारतवंशी मां ने कड़े संघर्ष के बाद बेटे को दिलाया इंसाफ

अमेरिका में चार साल तक कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार एक भारतवंशी मां अपने बेटे को इंसाफ दिलाने में कामयाब रही। अमेरिका की एक अदालत ने भारतीय मूल के छात्र प्रवीण वर्गीस की हत्या के अपराध में पिछले हफ्ते गेज बेथुने को दोषी करार दिया। प्रवीण की मां लवली वर्गीस …

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