Monday , April 29 2024
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दक्षिणी सूडान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान की सराहना की है। युद्ध के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे लोगों की सहायता के लिए यूएन ने सूडान में शांति रक्षा मिशन की शुरुआत की थी। दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआइएसएस) के एक बयान में कहा गया है कि भारतीय शांतिरक्षकों ने देश के उत्तर-पूर्वी शहर अकोबो के जॉनग्लेइ क्षेत्र में गत फरवरी में अस्थायी बेस की शुरुआत की थी। भारतीय शांतिरक्षक बड़ी संख्या में विस्थापित हुए इस क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के साथ ही जरूरतमंदों को मानवीय सहायता भी पहुंचा रहे हैं। क्षेत्र में कई आश्रय स्थलों का भी निर्माण किया गया है। शांतिरक्षक पूरे क्षेत्र में गश्त करते हैं जिससे स्थानीय समुदाय का आत्मविश्वास बढ़ा है और वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सूडान में तैनात भारतीय बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल नेगी ने कहा, '40 डिग्री तापमान, भारी बारिश और अन्य समस्याओं के बावजूद शांतिरक्षक लोगों को सुरक्षा देने और शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश और इथोपिया के बाद सबसे अधिक भारतीय शांतिरक्षक ही संयुक्त राष्ट्र मिशन पर तैनात हैं। अप्रैल, 2018 तक 2,341 भारतीय शांतिरक्षक यूएनएमआइएसएस में योगदान दे रहे थे।

दक्षिणी सूडान में तैनात भारतीय शांतिरक्षकों की संयुक्‍त राष्‍ट्र ने की सराहना

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दक्षिणी सूडान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान की सराहना की है। युद्ध के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे लोगों की सहायता के लिए यूएन ने सूडान में शांति रक्षा मिशन की शुरुआत की थी।संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दक्षिणी सूडान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान की सराहना की है। युद्ध के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे लोगों की सहायता के लिए यूएन ने सूडान में शांति रक्षा मिशन की शुरुआत की थी।  दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआइएसएस) के एक बयान में कहा गया है कि भारतीय शांतिरक्षकों ने देश के उत्तर-पूर्वी शहर अकोबो के जॉनग्लेइ क्षेत्र में गत फरवरी में अस्थायी बेस की शुरुआत की थी। भारतीय शांतिरक्षक बड़ी संख्या में विस्थापित हुए इस क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के साथ ही जरूरतमंदों को मानवीय सहायता भी पहुंचा रहे हैं। क्षेत्र में कई आश्रय स्थलों का भी निर्माण किया गया है। शांतिरक्षक पूरे क्षेत्र में गश्त करते हैं जिससे स्थानीय समुदाय का आत्मविश्वास बढ़ा है और वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।  सूडान में तैनात भारतीय बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल नेगी ने कहा, '40 डिग्री तापमान, भारी बारिश और अन्य समस्याओं के बावजूद शांतिरक्षक लोगों को सुरक्षा देने और शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश और इथोपिया के बाद सबसे अधिक भारतीय शांतिरक्षक ही संयुक्त राष्ट्र मिशन पर तैनात हैं। अप्रैल, 2018 तक 2,341 भारतीय शांतिरक्षक यूएनएमआइएसएस में योगदान दे रहे थे।

दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआइएसएस) के एक बयान में कहा गया है कि भारतीय शांतिरक्षकों ने देश के उत्तर-पूर्वी शहर अकोबो के जॉनग्लेइ क्षेत्र में गत फरवरी में अस्थायी बेस की शुरुआत की थी। भारतीय शांतिरक्षक बड़ी संख्या में विस्थापित हुए इस क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के साथ ही जरूरतमंदों को मानवीय सहायता भी पहुंचा रहे हैं। क्षेत्र में कई आश्रय स्थलों का भी निर्माण किया गया है। शांतिरक्षक पूरे क्षेत्र में गश्त करते हैं जिससे स्थानीय समुदाय का आत्मविश्वास बढ़ा है और वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

सूडान में तैनात भारतीय बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल नेगी ने कहा, ’40 डिग्री तापमान, भारी बारिश और अन्य समस्याओं के बावजूद शांतिरक्षक लोगों को सुरक्षा देने और शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश और इथोपिया के बाद सबसे अधिक भारतीय शांतिरक्षक ही संयुक्त राष्ट्र मिशन पर तैनात हैं। अप्रैल, 2018 तक 2,341 भारतीय शांतिरक्षक यूएनएमआइएसएस में योगदान दे रहे थे।

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